कर्नाटक (Karnataka) के कोप्पल जिले के गंगावती तालुक के मारकुंबी गांव में दलितों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामले में 98 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. कोप्पल में प्रधान जिला और सत्र न्यायालय ने गुरुवार को इस घटना में दोषी ठहराए गए लोगों के लिए सजा का ऐलान किया.
क्या है पूरा मामला?
28 अगस्त 2014 को हुआ यह मामला मारकुंबी के उच्च जातियों और दलितों के बीच हिंसक झड़प से जुड़ा है. कथित तौर पर घटना तब शुरू हुई, जब मारकुंबी निवासी मंजूनाथ ने दावा किया कि गंगावती में फिल्म देखने के बाद दलितों ने उस पर हमला किया. इस आरोप की वजह से गांव वालों ने जवाब में हिंसा की. इस घटना के दौरान कथित तौर पर दलित परिवारों की कई झोपड़ियों में आग लगा दी गई और कई व्यक्तियों पर शारीरिक हमला किया गया.
इस मामले में कुल 101 लोगों पर आरोप लगाए गए थे, जिनमें से 98 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बचे तीन को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग भी शामिल थे. यह फैसला कई साल की कानूनी कार्रवाई और साक्ष्यों की गहन जांच के बाद आया है. यह मामला भीमेश ने गंगावती ग्रामीण पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया था.
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21 अक्टूबर को प्रतिवादियों को दोषी ठहराने वाले पीठासीन न्यायाधीश ने कहा, "फैसले का मकसद इंसाफ को बनाए रखना और जाति आधारित हिंसा के खिलाफ एक मजबूत संदेश देना है."