कर्नाटक में इस समय भारी पॉलिटिकल रस्साकशी चल रही है. क्यों चल रही है, क्योंकि मौजूदा बीजेपी सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 परसेंट का रिज़र्वेशन ख़त्म करके उसे वोक्कालिगा और लिंगायत समाज में बराबर बराबर बांट दिया है. यानी अब वोक्कालिगा समुदाय के लिए कोटा 4% से बढ़ाकर 6% हो गया है और पंचमसालियों, वीरशैवों और दूसरी लिंगायत कैटेगरीज़ के लिए कोटा 5% से बढ़कर 7% हो गया है. वहीं, मुस्लिम समुदाय को अब सिर्फ EWS कोटे में रिजर्वेशन मिलेगा.
राज्य के वक़्फ़ बोर्ड ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. AIMIM चीफ़ असददुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को मुस्लिम विरोधी बताया है. कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इसे असंवैधानिक कहा और ये भी कहा कि इस बार चुनाव में कांग्रेस सरकार बनी तो तुरंत इस फैसले को वापस लिया जाएगा.
गृह मंत्री अमित शाह भी बीदर में रैली के दौरन अपनी कर्नाटक सरकार के बचाव में उतर आए. तो अलग अलग सामाजिक धड़ों में विरोध और समर्थन के बीच कर्नाटक की बासवराज बोम्मई सरकार का ये फैसला, क्या चुनाव में जीत दिलाने के लिहाज़ से निर्णायक हो सकता है, या ये सिर्फ एक पोल गिमिक बनकर रह जाएगा? इस रिजर्वेशन को वापस लेने का बयान क्या कांग्रेस को बैकफायर कर सकता है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद जो अडानी के शेयर्स का बाजार में हाल हुआ है, बहुत मुश्किल है कि बड़े इन्वेस्टर्स अभी अडानी की कंपनियों में इन्वेस्ट करें. लेकिन इसी भूचाल के वक्त एक ऐसा इन्वेस्टर भी है जो अडानी की दो कंपनियों पर अपना पैसा लगाए हुए है और सितंबर तक जारी भी रखने का प्लान है.और इनवेस्टर परोक्ष रूप से आपका पैसा भी अडानी के शेयर्स में लगा रहा है और सितंबर तक लगाता रहेगा.
ये इन्वेस्टर है इपीएफओ. जो देश के तकरीबन 28 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के प्राविडन्ट फंड के पैसे मैनेज करता है. इसी फंड का 15 प्रतिशत हिस्सा वो निफ्टी फिफ्टी यानी देश की बड़ी कंपनियों के इंडेक्स में लगाता है. अब हुआ ये है कि निफ्टी फिफ्टी जहां ये पैसा लगाया गया है उनमें से 2 कंपनियां हैं अडानी की, अडानी स्टॉक्स और अडानी इंटरप्राइजेज.
तो मार्केट में इन दोनों कंपनियों की खस्ताहाली के बावजूद पैसे लगाए रखने पर सवाल उठ रहे हैं. सितंबर तक ये इनवेस्टमेंट जारी रहेगी. अब तक इपीएफओ का इसको लेकर कोई बयान नहीं आया है. लेकिन विपक्ष जरूर इस मसले को उठा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि एलआईसी और एसबीआई के बाद इपीएफओ की पूंजी भी अडानी को सौंप दी गई है. लेकिन क्या जो सिचुएशन है, उसकी व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए. ये EPFO काम कैसे करता है, खास तौर से जमा हुए रुपयों का इनवेस्टमेंट किस तरह किया जाता है और अगर कोई कम्पनी क्राइसिस से गुज़र रही हो तो उसमें इन्वेस्टमेंट से तो हाथ खींचे ही जा सकते हैं, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.
2002 गुजरात दंगों के दौरान पांच महीने की गर्भवती थीं बिलकिस पानो. और उस वक्त बिलकिस बानो से गैंगरेप किया दंगाइयों ने और परिवार की हत्या कर दी. इस घटना के 11 दोषियों को पिछले साल गुजरात सरकार ने रिहाई दे दी थी. 15 अगस्त को इन दोषियों जेल से रिहा किया गया और तभी से गुजरात सरकार के ऊपर सवाल उठने शुरू हो गए थे.
दो दिन पहले भी इस मामले के एक दोषी शैलेश चिमनलाल भट्ट को बीजेपी सांसद जसवंत सिंह भाभोर और MLA शैलेश भाभोर के साथ एक सार्वजनिक मंच पर देखा गया, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर तैर रही है. बहरहाल, गुजरात सरकार के इस मूव के ख़िलाफ़ कई पॉलिटिकल और सिविल राइट्स ऐक्टिविस्ट्स ने याचिकाएं दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में आज इसी मामले पर जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई की. तो आज कोर्ट के अंदर सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ और पेटिशनर्स की क्या मांग है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.
कोरोनावायरस की तीन लहरों में हमने ऐसे ऐसे मंज़र देख लिए कि अब केसेज़ में उछाल से डर थोड़ा कम लगता है. लेकिन ये बात भी सही है कि देश में कोरोना के केसेस इस बीच बढ़ने लगे हैं. देश में पिछले 8 दिनों में हर रोज कोविड केस दोगुने हुए हैं, और मरने वालों की संख्या 29 पहुंच गई है. सबसे ज़्यादा नए केस महाराष्ट्र में दर्ज़ हुए हैं. बढ़ते केसेज़ को देखते हुए, दिल्ली के तीन अस्पतालों में मॉक ड्रिल किया गया, जिसमें बेड और ऑक्सीजन की उपलब्धता की जांच की गई.
नंबर्स के नज़रिए से देश में कोविड के मामलों में कितनी बढ़ोतरी हुई है? अचानक से कोविड का ग्राफ़ ऊपर कैसे उठने लगा, क्या कोई नया वेरिएंट आया है या फिर ये बदलते मौसम का असर है? क्या कोविड के ऐसे छोटे-छोटे सिज़नल आउटब्रेक होते रहेंगे और इम्युनिटी बनाये रखने के लिए वैक्सिन भी समय समय पर लेते रहने होंगे, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.