कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर बेनामी संपत्ति हड़पने के नए आरोप लगे हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ लोकायुक्त के समक्ष एक और शिकायत दर्ज कराई है. कृष्णा ने सिद्धारमैया पर बेनामी नामों से संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री ने पहले ही केसर (Kesare) गांव में 'अरिशिना-कुमकुमा' (एक पारंपरिक भेंट) की आड़ में 3.16 गुंटा जमीन (0.079 एकड़) ट्रांसफर कर दी है.
उन्होंने आगे दावा किया कि सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन स्वामी ने अब एक अतिरिक्त एकड़ भूमि दान की है. इससे इन लेन-देन के पीछे के स्रोत और मंशा पर चिंता बढ़ गई है.
'क्यों चुप हैं CM?'
RTI एक्टिविस्ट ने सवाल उठाया है कि मल्लिकार्जुन स्वामी द्वारा खरीदी गई जमीनें ही क्यों दान की जा रही हैं और सिद्धारमैया इस मामले पर चुप क्यों हैं. उन्होंने पार्वती के परिवार की कुल संपत्ति और मल्लिकार्जुन स्वामी द्वारा अर्जित संपत्तियों की भी जांच की मांग की है.
विवाद की शुरुआत साल 1983 में हुई थी, जब अलानाहल्ली सर्वे नंबर 113/4 के तहत एक एकड़ जमीन खरीदी गई थी. 1996 में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने जमीन के लिए अंतिम अधिसूचना जारी की, लेकिन बाद में इसे गैर-अधिसूचित कर दिया गया.
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RTI एक्टिविस्ट कृष्णा का आरोप है कि यह गैर-अधिसूचना सिद्धारमैया के प्रभाव में थी. उसी जमीन को बाद में अक्टूबर 2010 में पार्वती को दान कर दिया गया, जिन्होंने फिर एक महीने के अंदर इसे सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र को ट्रांसफर कर दिया. कथित तौर पर चार महीने बाद यतींद्र ने जमीन किसी थर्ड पार्टी को बेच दी.
कृष्णा ने सवाल उठाया है कि सिद्धारमैया ने इन ट्रांजैक्शन का कभी सार्वजनिक रूप से खुलासा क्यों नहीं किया और मुख्यमंत्री मल्लिकार्जुन स्वामी के नाम पर बेनामी संपत्तियां जमा कर रहे हैं. RTI एक्टिविस्ट ने अब लोकायुक्त से मामले की जांच करने की गुजारिश की है और चेतावनी दी है कि अगर अधिकारी कार्रवाई में देरी करते हैं, तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी.