
कर्नाटक की वित्तीय हालत भले ही खराब हो लेकिन अब वहां के नेता मालामाल होने वाले हैं. सिद्धारमैया सरकार ने मंत्री और विधायकों की सैलरी दोगुनी करने का प्रस्ताव रखा है जिसके पारित होने के बाद विधायकों की सैलरी एक लाख से सीधे दो लाख रुपये प्रति माह हो जाएगी. इसके अलावा विधायकों को मिलने वाली पेंशन और भत्ते में भी इजाफा करने का फैसला किया गया है.
सीएम-मंत्री सबकी बढ़ेगी सैलरी
राज्य सरकार इसके लिए विधानमंडल सैलरी, पेंशन और भत्ते (संशोधन) बिल 2025 लेकर आई है. इस बिल में चेयरमैन और स्पीकर की सैलरी को 75 हजार से बढ़ाकर 1.25 लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसी तरह भत्ते और HRA में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव है. विधेयक में मुख्यमंत्री की सैलरी 75 हजार से बढ़ाकर सीधे 1.5 लाख करने का प्रस्ताव है और मंत्रियों की सैलरी को 60 हजार से बढ़ाकर 1.25 लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसके अलावा मंत्रियों का HRA 1.20 लाख से बढ़ाकर दो लाख करने का फैसला लिया गया है.
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कर्नाटक में मंत्रियों की सैलरी और भत्तों से जुड़े 1956 के अधिनियम में बदलाव कर यह संशोधन बिल लाया गया है. इसमें विधानसभा में नेता विपक्ष की सैलरी भी 60 हजार से बढ़ाकर 80 हजार करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा चीफ व्हिप, विधायकों के स्टाफ, यात्रा खर्च, टेलीफोन खर्च, निर्वाचन क्षेत्र में जाने के खर्च से लेकर पोस्टल खर्च को भी बढ़ाने का प्रस्ताव है. इंडिया टुडे के पास 3 मार्च को ही विधायकों की सैलरी बढ़ाने के संबंध में खबर थी और अब सरकार ने इसका ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है.
राज्य पर गारंटी पूरी करने का दबाव
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने चुनाव से पहले जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे, जिनमें गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये, युवा निधि के तहत बेरोजगार ग्रेजुएट्स को दो साल के लिए 3 हजार रुपये, डिप्लोमा धारकों को 1500 रुपये, अन्न भाग्य योजना में गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल शामिल हैं. ऐसे में सरकार के ऊपर पहले से ही काफी ज्यादा वित्तीय बोझ है.
एक्सपर्ट का कहना था कि अगर कांग्रेस पांचों गारंटी पूरा करती है तो इससे कर्नाटक का राजस्व घाटा 60 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा और राज्य के कुल बजट का लगभग साढ़े 21 प्रतिशत भाग है. कर्नाटक पर अभी लगभग पांच लाख करोड़ रुपये का पहले से कर्ज है. ऐसे में ये कर्ज और बढ़ने की आशंका जताई गई थी.