हिंदी दिवस पर कांग्रेस नेता और तमिलनाडु से सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा है कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है और हिंदी को लोगों पर नहीं थोपा जाना चाहिए. कार्ति चिदंबरम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के जवाब में ट्वीट करते हुए यह बात कही. शाह ने कहा है कि हिंदी भाषा सदियों से लोगों को एकजुट करती रही है.
कार्ति चिदंबरम के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी हिंदी दिवस को लेकर अपनी बात रखी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, हिंदी भाषी लोगों को हिंदी दिवस मनाते हुए देखकर खुशी हो रही है. तमिल भाषी लोगों को इस बात का गर्व है कि भारत में तमिल सबसे प्राचीन भाषाओं में एक है. चिदंबरम ने इसका प्रमाण देते हुए ट्वीट में लिखा, किलाडी और और उसके आसपास के इलाकों में पुरातात्विक खुदाई से पता चलता है कि तमिल सभ्यता की जड़ें 2600 साल पुरानी हैं.
We rejoice with the Hindi speaking people who are celebrating Hindi Diwas today
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 14, 2020
The Tamil speaking people are legitimately proud that the Tamil language is among the oldest languages of India
बता दें, हिंदी को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत में विरोध की स्थिति देखी जाती रही है. दक्षिण भारत की लगभग सभी पार्टियां हिंदी को मुद्दा बनाती हैं और उनका कहना है कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है. दक्षिण भारत की कई पार्टियां ऐसी हैं जिनकी राजनीति हिंदी विरोध पर आधारित रही है. जबकि उत्तर भारत के लोग हिंदी को ही अपनी प्रमुख भाषा मानते हैं और बोलचाल में इसकी प्रमुखता देखी जाती है. दूसरी ओर दक्षिण भारत में हिंदी का इस्तेमाल बेहद कम होता है.
अगस्त महीने में हिंदी और गैर-हिंदी भाषा को लेकर एक घटना सामने आई थी. आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा पर आरोप लगा था कि उन्होंने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस से गैर हिंदी भाषियों को लेकर भेदभावपूर्ण बयान दिया था. कोटेचा के कथित बयान को लेकर तमिलनाडु में सियासत तेज हो गई. डीएमके सांसद कनिमोझी ने आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को पत्र लिखकर विभाग के सचिव के इस भेदभावपूर्ण बयान की निंदा की थी. कनिमोझी ने आयुष मंत्री से इसकी जांच कराने और आयुष सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. डीएमके सांसद ने यह मांग भी की कि सभी मंत्रालयों के आयोजन अंग्रेजी भाषा में हों.