कश्मीर फाइल्स फिल्म पर चल रहे विवाद के बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का बयान आया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में 1990 में कश्मीर में जो भी हुआ वह साजिश थी, और कश्मीरी पंडितों को साजिश के तहत भगाया गया था. उन्होंने Kashmir Files पर बात करते हुए उसे प्रोपेगेंडा फिल्म बताया.
इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से बातचीत करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह वक्त (जब कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा) बहुत खराब वक्त था. उस वक्त कश्मीरी पंडितों पर जो मुसीबतें आईं उसके लिए मेरा दिल आजतक रो रहा है. कोई कश्मीरी ऐसा नहीं है जो उनके लिए रो नहीं रहा है. सब चाहते हैं कि उनकी घर (कश्मीर) वापसी हो. तब ही कश्मीर पूरा होगा.
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि 90 में जो कुछ हुआ वह साजिश थी, इस साजिश जो किसने किया? इसकी जांच के लिए कमीशन बैठाया जाए, तब पता चलेगा कि कौन-कौन इसमें शामिल था.
इंटरव्यू में राज्य के पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि इस मामले में फारूक अब्दुल्ला पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन मैं इसका (कश्मीरी पंडितों के घर छोड़ने के) जिम्मेदार नहीं हूं. जिम्मेदार वे हैं जो उस वक्त दिल्ली पर राज कर रहे थे.
फिल्म kashmir files पर क्या बोले फारूक अब्दुल्ला
कश्मीर फाइल्स फिल्म पर बोलते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर मसलों को सुलझाना है तो दिल जोड़ने वाली बात करनी होगी, यह फिल्म दिल जोड़ नहीं रही है, तोड़ रही है. सारे मुल्क में आग लगा रही है. अगर यह आग नहीं बुझाई गई तो यह सारे देश को एकदम शोले की तरह उड़ा देगी.
आगे फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं पीएम मोदी से गुजारिश करूंगा कि ऐसी चीजें ना करें जिससे मुसलमान-हिंदुओं के रिश्ते और खराब हों. ऐसा हुआ तो मुल्क की सूरत ऐसी बन जाएगी जैसी हिटलर के जमाने में जर्मनी में हुई थी.
अपने ऊपर लग रहे आरोपों को फारूक अब्दुल्ला ने गलत बताया. वह बोले कि उस वक्त वहां मुखिया जगमोहन (जम्मू कश्मीर के राज्यपाल) थे. वह अब नहीं रहे लेकिन कश्मीरी पंडितों को उन्होंने निकलवाया. उनके घर पर उन्होंने गाड़ियां भेजीं, पुलिसवालों को इन लोगों को गाड़ियों में बैठाने को उन्होंने कहा था.
वह बोले कि करीब 800 खानदान (कश्मीरी पंडितों के) अभी भी कश्मीर में शांति से रह रहे हैं. किसी ने उनको हाथ नहीं लगाया, किसी ने उनको नहीं मारा.
...तो जहां चाहें फांसी दे दें - फारूक अब्दुल्ला
फारूक ने कहा कि ए.एस दुल्ल्त (उस वक्त के रॉ प्रमुख), आरिफ मोहम्मद खान, मोहसर रजा (उस वक्त से चीफ सेक्रेटरी) से पूछा जाए कि कश्मीरी पंडितों के जाने के लिए कौन जिम्मेदार है, अगर ये लोग कहेंगे कि फारूक जिम्मेदार है तो मुझे जहां चाहें फांसी दे दें.
लेकिन पहले कमीशन बने, जो देखेगा कि कौन सही है और कौन गलत. वह देखेगा कि किसने चिति सिंह पोहरा किया, किसने कुपवाड़ा में हमारी बहनों का रेप किया. किसने मस्जिद से निकल रहे लोगों पर गोलियां चलाईं.
फारूक अब्दुल्ला बोले कि केंद्र सरकार को दिल जोड़ने की कोशिश करनी होगी, यह फौज से नहीं किया जा सकता.
फारूक अब्दुल्ला ने बताई अपनी मांग
अब्दुल्ला से आखिर में पूछा गया कि कश्मीरी लोगों का दिल जीतने के लिए सरकार को क्या करना होगा. इसपर अब्दुल्ला ने कहा कि सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हो, राज्य का दर्जा वापस दिया जाए. वह बोले कि यह देश का ताज है इसको फिर से चमकाया जाए. फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि हिंदू मुसलमान का रिश्ता ठीक करने की कोशिश करनी होगी. इसके बाद ठीक से, ईमानदारी से चुनाव कराना होंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि मशीनों से छेड़छाड़ होती है, फौज से वोट डलवाए जाते हैं जो बंद करने होंगे.
उन्होंने आगे कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री ईमानदारी से आता है, चाहे वह कश्मीरी हो या ना हो उसे माना जाएगा. लेकिन अगर बेइमानी से आएगा तो उसे कभी कबूल नहीं किया जाएगा.