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बजट 2024-25: ट्रेन हादसों को कितना रोक पाएगा रेलवे का 'कवच'?

रेलवे से जुड़े हादसों को रोकने में 'कवच' सिस्टम बेहद मददगार है. हाल ही में पेश हुए बजट के रेल बजट सेक्शन में भी सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. लेकिन, अलग-अलग उद्देश्यों के लिए आवंटित की गई राशि सीमित गति से विकास को दर्शा रही है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने टक्कर रोधी प्रणाली पर आधारित 'कवच' सिस्टम बनाया है. इस सिस्टम ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. दो दिन पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया है. ऐसे में अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि भारत के विशाल रेल नेटवर्क को 'कवच' सिस्टम आखिर कब तक कवर कर सकता है. बजट के बाद आज तक ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है.

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रेल बजट में इस साल सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. लेकिन, अलग-अलग उद्देश्यों के लिए आवंटित की गई राशि सीमित गति से विकास को दर्शा रही है. पिछले पांच सालों में रेलवे में हर साल औसतन 43 दुर्घटनाएं हुईं हैं. ये सभी ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें यात्री हताहत हुए या संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. 2015 से 2022 के बीच हर साल औसतन 56 यात्रियों की रेल दुर्घटनाओं में मौत हुई हैं. 2023 में मौतों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसमें एक बड़ा हादसा ओडिशा के बालासोर में हुआ था, जिसमें 3 ट्रेनों की टक्कर में कम से कम 219 लोगों की जान चली गई थी.

53% हादसों में कर्मचारियों की गलती

आज तक की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम को डेटा विश्लेषण में पता चला है कि 53 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं कर्मचारियों की गलतियों के कारण होती हैं, जबकि सालाना 4 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं टक्करों के कारण होती हैं. ट्रैक में खराबी और अपर्याप्त रखरखाव जैसे दूसरे कारण भी हादसों की वजह हैं.

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सुरक्षा से जुड़े 1.5 लाख पद खाली

साल 2024 की शुरुआत में RTI (सूचना का अधिकार अधिनियम) के जवाब पर आधारित PTI (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कहा था कि रेलवे में 'सुरक्षा' के लिए जिम्मेदार लगभग 1.5 लाख पद खाली पड़े हैं. सुरक्षा श्रेणी के पदों में ट्रेन ड्राइवर, इंस्पेक्टर, क्रू कंट्रोलर, लोको इंस्ट्रक्टर, ट्रेन कंट्रोलर, ट्रैक मेंटेनर, स्टेशन मास्टर, पॉइंट्समैन, इलेक्ट्रिक सिग्नल मेंटेनर और सिग्नलिंग सुपरवाइजर आदि शामिल हैं.

इस बजट में 58% फीसदी की बढ़ोतरी

रेलवे ने 2023 तक 5 सालों में 3 लाख 2 हजार 550 उम्मीदवारों को सूचीबद्ध किया. इस अवधि के दौरान 9 लाख 97 हजार 638 रिक्तियों को प्रकाशित किया गया. इस साल के रेल बजट में 'प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास' के लिए 416.83 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के बजट (242.12 करोड़) से 58 फीसदी अधिक है.

सिर्फ 2 फीसदी हिस्से तक कवरिंग

कवच सिस्टम घोषणा के करीब 8 साल बाद 2020 में शुरू हुआ, वह फिलहाल भारत के रेल नेटवर्क के लगभग दो प्रतिशत हिस्से को कवर करता है. यानी भारतीय रेलवे नेटवर्क के 97% से ज्यादा हिस्से में टक्कर रोधी सिस्टम का अभाव है.

इस साल 600 करोड़ से भी कम आवंटन

कवच को ट्रेन की टक्कर रोकने का एक बड़ा उपाय बताया गया है. आवश्यक और आवंटित निधियों तथा स्थापना की गति के आधार पर एक मोटा अनुमान बताता है कि सभी मार्गों और बेड़े पर टक्कर से बचने की प्रणाली के पूर्ण कार्यान्वयन में कई दशक लग सकते हैं. राज्य सभा में मंत्रालय के लिखित जवाब के मुताबिक इस साल कवच के लिए सिर्फ 557.96 करोड़ आवंटित किए गए.

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1.5 हजार KM से भी कम रूट कवर

हालांकि, 24 जुलाई को मंत्रालय की ओर से लिखित जवाब में कहा गया है कि कवच कार्यों पर अब तक 1216.77 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. साल 2024-25 के लिए धन का आवंटन 1112.57 करोड़ रुपये है, जो अंतरिम बजट से लगभग 50% अधिक है. सरकार के मुताबिक कवच को दक्षिण मध्य रेलवे के कुल 68,426 रूट किलोमीटर नेटवर्क में से 1,465 रूट किलोमीटर (लगभग 2 प्रतिशत) पर तथा 7,349 रेलवे स्टेशनों के 15,200 लोको इंजनों में से 144 पर तैनात किया गया है.

आवंटन पर पहले से ही उठते रहे हैं सवाल

टक्कर रोधी सुरक्षा तंत्र के क्रियान्वयन की गति और सरकार द्वारा धन के आवंटन को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर यात्री सुरक्षा की तुलना में महंगी बड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि आप (सरकार) वंदे भारत बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 1.08 लाख करोड़ मंजूर कर रहे हैं. पिछले साल बालासोर में तीन ट्रेनें टकरा गईं क्योंकि कवच नहीं था. पिछले हफ्ते ट्रेन दुर्घटना में कवच नहीं था. मोइत्रा ने सदन में कहा था कि मौजूदा फंडिंग के स्तर पर सभी ट्रेनों में कवच लगाने में 50 साल लगेंगे.

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सभी रूट्स के लिए इतने बजट की जरूरत

कवच प्रणाली के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए लगभग 45,000 करोड़ की राशि की आवश्यकता है. उपकरणों सहित इसे पटरियों पर स्थापित करने की लागत प्रति रूट किलोमीटर 50 लाख और एक रेलवे इंजन में उपकरण फिट करने की लागत 70 लाख है. इसका मतलब है कि सभी मार्गों को सुसज्जित करने के लिए लगभग 34,213 करोड़ (68,426 किलोमीटर x 50 लाख) और सभी रेलवे बेड़े पर इसकी प्रणाली स्थापित करने के लिए 10,640 करोड़ (15,200 इंजन x 70 लाख) की आवश्यकता है. यदि इसकी स्थापना 10 सालों के अंदर पूरी होनी है, तो पटरियों के लिए गति को बढ़ाकर 6,800 रूट किलोमीटर/वर्ष और 1,500 लोकोमोटिव प्रति वर्ष करने की आवश्यकता है, जिसका बजट अनुमान 4,500 करोड़ है.

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