scorecardresearch
 

दक्षिण मध्य रेलवे के 1200km के रूट पर कवच का काम तेज रफ्तार में जारी, जानें कैसे काम करता है यह कवच

जिस रेल कवच को लेकर जोरों पर चर्चा चल रही है उस कवच को दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में 1,098 रूट किलोमीटर पर तैनात किया गया है. बता दें कि इस कवच सुविधा को लेकर दक्षिण मध्य रेलवे के 1200 किमी के रूट पर काम चल रहा है. 

Advertisement
X
तेज रफ्तार में रेल कवच पर काम जारी
तेज रफ्तार में रेल कवच पर काम जारी

ओडिशा के बालासोर में बीती रात एक भयानक रेल हादसा हुआ. इस हादसे के बाद से लगातार विपक्ष रेलवे की कवच तकनीक पर सवाल उठा रहा है. विपक्ष का कहना है कि इस तकनीक के आने के बाद भी यह भीषण हादसा टला क्यों नहीं. ऐसे में रेलवे की ओर से साफ कहा गया है कि अभी सभी रूट पर यह कवच सुविधा उपलब्ध नहीं है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने जानकारी दी कि इस रूट पर कवच सिस्टम नहीं लगा था. इसका एक डेमो इस साल की शुरुआत में भी दिखाया गया था, जिसमें आमने-सामने आने पर दो ट्रेनें अपने आप रुक जाती हैं.

Advertisement

कवच को दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में 1,098 रूट किलोमीटर पर तैनात किया गया है. कवच का सफल परीक्षण रेल मंत्री ने अपनी जान जोखिम में डालकर दुनिया को यह दिखाने के लिए किया था कि भारतीयों को हमारे उत्पादों पर गर्व है. मंत्री का कहना था कि हमारे पास दुनिया की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों को मात देने की तकनीकी क्षमता है. बता दें कि इस कवच सुविधा को लेकर दक्षिण मध्य रेलवे के 1200 किमी के रूट पर काम चल रहा है. 

क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम? 

कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था.

Advertisement

इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.

कैसे काम करता है कवच? 

ये सिस्टम कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का सेट है. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. ये सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है. जैसे ही कोई लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप करता है, तो कवच एक्टिव हो जाता है. 

इसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और फिर ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल हासिल कर लेता है. जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है, तो वो पहली ट्रेन के मूवमेंट को रोक देता है. सिस्टम लगातार ट्रेन की मूवमेंट को मॉनिटर करता है और इसके सिग्नल भेजता रहता है. अब इस पूरी प्रक्रिया को आसान भाषा में समझते हैं. 

अपने आप ट्रेन को रोक देता है कवच

इस टेक्नोलॉजी की वजह से जैसे ही दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आ जाती हैं, तो एक निश्चित दूरी पर सिस्टम दोनों ही ट्रेनों को रोक देता है. दावों की मानें तो अगर कोई ट्रेन सिग्नल जंप करती है, तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी. दरअसल, इस कवच सिस्टम को अभी सभी रूट्स पर इंस्टॉल नहीं किया गया है. 

Advertisement

इसके अलग-अलग जोन में धीरे-धीरे इंस्टॉल किया जा रहा है. 22 दिसंबर 2022 को रेल मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए बताया, 'कवच सिस्टम को फेज मैनर (चरणबद्ध) तरीके से इंस्टॉल किया जाएगा. कवच को साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट और 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है. इसके साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर भी इसे जोड़ने का काम चल रहा है.'

राज्यसभा में रेल मंत्री ने दिया था ये जवाब

22 दिसंबर 2022 को रेल मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए बताया, 'कवच सिस्टम को फेज मैनर (चरणबद्ध) तरीके से इंस्टॉल किया जाएगा. कवच को साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट और 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है. इसके साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर भी इसे जोड़ने का काम चल रहा है.'

तीन रेलों का हादसा

बालासोर ट्रेन हादसे की शुरुआती खबर जब आई तो टक्कर एक एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच बताई जा रही थी. इस हादसे में 30 लोगों के मौत की जानकारी मिली थी, लेकिन कुछ ही वक्त बाद हादसे की पूरी डिटेल आई. इसमें पता चला की हादसा दो ट्रेनों के बीच नहीं बल्कि तीन ट्रेनो के बीच हुआ है. हादसे बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ है.

Advertisement

एक्सीडेंट के वक्त आउटर लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी. हावड़ा से आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार से लगभग 300 मीटर दूर डिरेल हुई. ये हादसा इतना भयानक था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का ईंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया और इसकी बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं. इस बीच तेज रफ्तार से आ रही हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस डिरेल हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों से टक्करा गई.

Advertisement
Advertisement