केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. इस बार उनके 11 अध्यादेशों पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर राज्य में सियासी गर्मिंया बढ़ गई हैं. उनके ऐसा करने से ये सभी अध्यादेश निरस्त हो गए. इन अध्यादेशों में लोकायुक्त संशोधन विधेयक जैसा अहम अध्यादेश भी शामिल था. राज्य सरकार ने उनके इस काम को राजनीति से प्रेरित बताया, वहीं मीडिया से मुखातिब होते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसके पीछे की वजह साफ की है.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि दिल्ली के लिए निकलने से पहले उनके पास कई अध्यादेश हस्ताक्षर के लिए आए. उन्हें ये सामान्य से कुछ अलग लगा. इसलिए उन्होंने इन पर हस्ताक्षर नहीं किए. हालांकि अब वो राज्य सरकार के विधानसभा का सत्र बुलाने के निर्णय से खुश हैं और इसका स्वागत करते हैं.
आरिफ मोहम्मद खान ने कन्नूर विश्वविद्यालय में प्रिया वर्गीज की विवादित नियुक्ति को लेकर अपनी बात रखी. प्रिया वर्गीज केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के राजनीतिक सचिव की पत्नी है. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि केरल के कई विश्वविद्यालयों में नियम-कानूनों की अनदेखी की शिकायतें आई हैं. कन्नूर विश्वविद्यालय के मामले में तो लगता है कि वहां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों का उल्लंघन करना एक आदत सी बन गई है. उन्होंने इस नियुक्ति को लेकर कड़ा ऐतराज जताया था और विश्वविद्यालय से इस बारे में स्पष्टीकरण भी मांगा है. प्रिया वर्गीज की नियुक्ति की उन्होंने कड़े शब्दों में आलोचना की है.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और राज्य सरकार के बीच अक्सर खींचतान की खबरें आती रहती हैं. वहीं राज्य सरकार उन पर कई बार प्रशासनिक और विधायी कार्यों में बाधा डालने का आरोप लगाती रही है.
केरल की राजनीति में सक्रिय कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने हाल में अपने मुखपत्र जनयुग्म में आरिफ मोहम्मद खान पर बीजेपी के पक्ष में राजनीति करने का आरोप लगाया था. पार्टी ने अपने मुखपत्र के संपादकीय में लिखा है कि राज्य में बीजेपी का जनाधार कम है और आरिफ मोहम्मद खान अपने पद का लाभ उठाते हुए पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश रहे हैं. पार्टी ने उनके 11 अध्यादेशों को रोकने को प्रशासनिक काम में बाधा डालना करार दिया है.