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'सरकार के काम में हस्तक्षेप नहीं करूंगा, लेकिन...' , केरल Government पर फिर बरसे आरिफ मोहम्मद खान

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ' मैं सरकार के कामकाज में तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं करूंगा,जब तक राज्य का संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हो जाता.'सौभाग्य से' केरल में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.'

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राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (File Photo)
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (File Photo)

केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच तल्खियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर छिड़ी जंग में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच मंगलवार को राज्यपाल ने फिर एक अहम बयान दिया है.

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राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ' मैं सरकार के कामकाज में तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं करूंगा,जब तक राज्य का संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हो जाता.'सौभाग्य से' केरल में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.'

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार को भी अपनी मर्यादाओं का सम्मान करना चाहिए. विश्वविद्यालयों को चलाना उनका काम नहीं है. यह जिम्मेदारी राज्यपाल के पास है, जिसे पदेन चांसलर (ex-officio Chancellor) के तौर पर यह कर्तव्य सौंपा गया है. राज्यपाल ने आगे कहा कि पूरे देश में संविधान और संवैधानिक परंपराओं का सम्मान किया जाता है. 

लेफ्ट समर्थक निकाल चुके हैं मार्च

VC की नियुक्ति के मामले पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि लोगों की योग्यता के मुताबिक ही इस मुद्दे पर फैसला किया जाएगा. निर्णय लेते समय संविधान का भी ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने आगे कहा , 'मैं सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने जा रहा हूं.' बता दें कि इस तरह का बयान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहले भी दे चुके हैं. नियुक्ति के मुद्दे को लेकर हाल ही में लेफ्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया था. इस दौरान लेफ्ट समर्थकों ने राजभवन तक मार्च भी निकाला था. तब भी राज्यपाल ने अपना बयान दोहराया था.

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RSS के एजेंडे वाले आरोप पर क्या बोले?

केरल की लेफ्ट पार्टियां राज्यपाल पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एजेंडे को लागू करने का आरोप लगाते आए हैं. जब आरिफ मोहम्मद खान से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर आरोप लगाने वाले ऐसे एक भी शख्स का नाम बताने में कामयाब हुए जिसकी नियुक्ति इस संगठन (RSS-BJP) का सदस्य होने के कारण की गई है तो राज्यपाल अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.

व्यक्तिगत कुछ भी नहीं: राज्यपाल

जब राज्यपाल से पूछा गया कि क्या हाल ही में आए अदालती फैसलों ने उनके रुख की पुष्टि की है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अदालत के फैसलों ने उम्मीद जगाई है कि विश्वविद्यालयों का गौरव दोबारा लौट सकता है. उन्होंने आगे कहा कि वो इस मुद्दे पर अपना कोई स्टैंड नहीं रख रहे हैं. इस मामले में व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है. 

क्या है विवाद का कारण?

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने के निर्देश दिए थे. आरिफ मोहम्मद खान ने जिन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने के निर्देश दिए थे, उनमें केरल विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कन्नूर विश्वविद्यालय, एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और थुंचथ एजुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल हैं.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाया था आधार

केरल के राज्यपाल ने 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफे का निर्देश देने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर एमएस राजश्री की नियुक्ति को रद्द कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि यूजीसी नियमों के अनुसार कुलपति का चयन करने के लिए पैनल को तीन नाम की सिफारिश करनी होती है, लेकिन यहां केवल एक नाम बढ़ाया गया, जो नियमों का उल्लंघन है.केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा मांगने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को आधार बताया था. हालांकि, कुलपतियों ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दे दी थी.

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