केरल के कलीकट स्थित मिनी बाइपास रोड पर सोमवार को अनोखा नजारा देखने को मिला, जब यहां एक शराब की दुकान (Liquor Shop) के बाहर एक कपल ने 'शादी' कर ली. शादी भी उस वक्त की गई जब सड़क पर अच्छी-खासी भीड़ भाड़ थी. शराब की दुकान के बाहर कपल को शादी रचाते देख सबकी नजर उन पर ही टिक गई. जो लोग शराब खरीदने के लिए लाइन में लगे थे, वो भी कपल को देखने लगे. हालांकि, कपल ने शादी में असली नहीं की, बल्कि प्रतीकात्मक थी और उन्होंने ऐसा विरोध दर्ज कराने के लिए किया था.
दरअसल, कोरोना संक्रमण की वजह से पाबंदियां लागू हैं. सरकार की ओर से तय कर दिया गया है कि शादी में 20 या 50 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते. इस वजह से शादी से जुड़े काम देखने वाले लोगों का कारोबारा ठप पड़ा हुआ है. इसलिए सोमवार को केरल कैटरर्स एसोसिएशन (Kerala Caterers Association) ने विरोध दर्ज कराने के लिए शराब की दुकान के बाहर 'प्रतीकात्मक शादी' रचाई.
कोझिकोड (Kozhikode) के सांसद एमके राघवन (M K Raghavan) ने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया है, वैसे ही एक कपल दूल्हा-दुल्हन की तरह सजकर आया और एक-दूसरे को माला पहनाकर 'प्रतीकात्मक शादी' रचाई. दूल्हा बने प्रमोद और दुल्हन बनी धान्या पिछले कई सालों से कैटरिंग इंडस्ट्री (Catering Industry) में काम कर रहे हैं.
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कैटरगिंग एसोसिएशन का दावा है कि ऐसी एक या दो नहीं, बल्कि प्रदेश की कई जगहों पर शराब की दुकान के बाहर ऐसी प्रतीकात्मक शादियां करवाई गई हैं. एसोसिएशन का दावा है कि शादियों पर सरकार की पाबंदियों की वजह से पिछले दो महीने से काम ठप पड़ा है. 20 या 50 लोगों के लिए कैटरिंग सर्विस देना संभव नहीं है.
ऑल केरला कैटरर्स एसोसिएशन के कोझिकोड के महासचिव प्रेमचंद का कहना है कि शराब की दुकानें और दूसरी सारी जगहें खुली हुई हैं. लेकिन सरकार ने शादियों में 50 से ज्यादा लोगों के जुटने पर रोक लगा रखी है. जबकि शराब की दुकानों के बाहर भीड़ लगी रहती है. उससे कोई समस्या नहीं है. उनका कहना है कि सरकार को शादियों में कम से कम 100 लोगों के आने की इजाजत देनी चाहिए.
कैटरर्स बॉडी के मुताबिक, केरल में छोटे-बड़े मिलाकर दो हजार से ज्यादा कैटरर्स रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 2 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. लॉकडाउन और पाबंदियों की वजह से पिछले डेढ़ साल से कैटरिंग इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है. उनका कहना है कि लॉकडाउन में उन्होंने केरल के कई इलाकों में कम्युनिटी किचन की व्यवस्था शुरू की थी, जहां लोगों को मुफ्त में खाना दिया जाता था. लेकिन सरकार की ओर से उन्हें अभी तक कोई राहत या मदद नहीं मिली है.