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NIA ने PFI के सदस्य को किया अरेस्ट, RSS नेता की हत्या से जुड़ा है मामला, समझें पूरा केस

एनआईए ने 17 मार्च 2023 को पीएफआई सहित 59 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इन आरोपियों में से एक की पहचान अब्दुल नासिर के रूप में की गई, जिसकी मौत दो जनवरी 2023 को हो गई थी. इस मामले में बाकी बचे 11 आरोपियों को भी गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है, जो फिलहाल फरार हैं. इनमें से 69 की पहचान कर ली गई है. 

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एनआईए
एनआईए

राष्ट्रीय जांच एजेसी (एनआईए) ने आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक और सदस्य को गिरफ्तार किया है. 

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आरोपी सहीर केवी आरएसएस नेता की हत्या के बाद से ही फरार था. उस पर चार लाख रुपये का इनाम था. एनआईए की फ्यूजिटिव ट्रैकिंग टीम (एफटीटी) ने केरल के पलक्कड़ में सहीर के एक रिश्तेदार के घर से उसे गिरफ्तार किया. 

पलक्कड़ का रहने वाला सहीर पीएफआई की असॉल्ट एंड प्रोटेक्शन टीम का हिस्सा था, जिसने इस हत्या को अंजाम दिया. वह श्रीनिवासन के हत्यारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए भी जिम्मेदार था. एनआईए की जांच से पता चला है कि वह श्रीनिवासन की हत्या के लिए पीएफआई के नेताओं की विभिन्न साजिशों में शामिल रहा है. 

बता दें कि एनआईए ने 17 मार्च 2023 को पीएफआई सहित 59 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इन आरोपियों में से एक की पहचान अब्दुल नासिर के रूप में की गई, जिसकी मौत दो जनवरी 2023 को हो गई थी. इस मामले में बाकी बचे 11 आरोपियों को भी गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है, जो फिलहाल फरार हैं. इनमें से 69 की पहचान कर ली गई है. 

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मालूम हो कि 16 अप्रैल 2022 को केरल के पलक्कड़ में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या कर दी गई थी.

दुकान में घुसकर की थी हत्या

आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या उनकी दुकान में घुसकर कर दी गई थी. हमलावरों ने तलवार से उनपर हमला किया था.

श्रीनिवासन की पलक्कड़ के पास मेलामुरी में टू-व्हीलर की दुकान थी. तीन बाइक पर सवार होकर पांच हमलावरों ने उनपर 16 अप्रैल 2022 को हमला कर दिया था.

चश्मदीदों के हवाले से पुलिस ने बताया था कि हमलावरों ने अपनी बाइक श्रीनिवासन के दुकान के सामने खड़ी की. इसके बाद तीन लोग अंदर दुकान में घुसे और तलवारों से हमला कर दिया.

PFI को बैन कर चुकी है सरकार

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर सरकार ने पिछले साल 28 सितंबर को प्रतिबंध लगा दिया था. गृह मंत्रालय के मुताबिक, PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना की, जिसका एकमात्र मकसद सदस्यता बढ़ाना और फंड जुटाना है. PFI और उसके संगठन सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करते हैं, लेकिन एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाना इनका छिपा हुआ एजेंडा है.

सरकार ने ये प्रतिबंध PFI के साथ-साथ उसके 8 सहयोगी संगठन- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमन फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी लगा दिया था.

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गृह मंत्रालय का कहना है कि PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना की, जिसका एकमात्र मकसद सदस्यता बढ़ाना और फंड जुटाना है. PFI और उसके संगठन सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करते हैं, लेकिन एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाना इनका छिपा हुआ एजेंडा है.

क्या है PFI?

22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से PFI बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. 

PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है. हालांकि, दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया. ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष. 

गृह मंत्रालय के मुताबिक, PFI से जुड़े लोग संजीत (केरल, नवंबर 2021), वी. रामलिंगम (तमिलनाडु 2019), नंदू (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बिबिन (केरल, 2017), शरत (कर्नाटक, 2017), आर. रुद्रेश (कर्नाटक, 2016), प्रवीण पुजारी (कर्नाटक, 2016), शशि कुमार (तमिलनाडु, 2016) और प्रवीण नेत्तारू (कर्नाटक, 2022) की हत्या में शामिल रहे हैं.

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