दिल्ली हाई कोर्ट के ट्रिब्यूनल ने सिख्स फॉर जस्टिस संगठन पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया है. यह फैसला संगठन की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. SFJ की स्थापना अमेरिका स्थित वकील गुरपटवंत सिंह पन्नू ने की थी, जिसपर आरोप है कि कि यह संगठन भारत की आंतरिक सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर रहा है.
जस्टिस अनूप कुमार मेंदिरत्ता की अध्यक्षता वाली ट्रिब्यूनल ने पुष्टि की है कि SFJ लगातार भारत की सुरक्षा एजेंसियों, सरकार और संवैधानिक पदाधिकारियों को धमकी दे रहा है. गृह मंत्रालय ने पिछले साल 10 जुलाई को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत संगठन पर प्रतिबंध की अवधि को बढ़ाया था.
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अलगाववादी, आतंकवादी और चरमपंथी तत्वों से संबंध!
ट्रिब्यूनल में सबमिशन दिया गया था कि SFJ के संबंध भारत के अन्य अलगाववादी, आतंकवादी और चरमपंथी तत्वों के साथ भी हैं. संगठन पंजाब में 'खालिस्तान' नामक एक अलग राज्य की मांग करता है और इसके लिए चरमपंथ का समर्थन करता है. SFJ ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और NSA सहित कई संवैधानिक पदाधिकारियों को भी धमकियां दी हैं.
सोशल मीडिया पर संगठन चलाता है अभियान
संगठन पर आरोप है कि यह सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय सेना के सिख सैनिकों को भड़काने की कोशिश कर रहा है. इनके अलावा, SFJ भारतीय मिशनों और विदेशों में तैनात राजनयिकों को भी निशाना बना रहा है. SFJ द्वारा कथित रुप से 'रेफरेंडम 2020' के माध्यम से एक अलग 'खालिस्तान' राज्य की स्थापना के लिए ऑनलाइन अभियान भी चलाया है.
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रिपोर्ट्स में यह भी खुलासा हुआ है कि SFJ ने जिनेवा में एक सम्मेलन का आयोजन किया जहां इसने अपने एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश की. SFJ का उद्देश्य पंजाब में दरवाजे-दरवाजे जाकर जनमत संग्रह करना और इसके लिए मासिक वेतन देने का प्रस्ताव देना था.
पाकिस्तान की आईएसआई से भी एसएफजे के कनेक्शन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, SFJ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी समर्थन हासिल कर रहा है, जो संगठन के उद्देश्यों को बढ़ावा दे रहा है. आदेश में कहा गया कि SFJ का सीधा लक्ष्य भारत को अस्थिर करना है, और इसके खिलाफ विभिन्न राज्यों और NIA ने कई एफआईआर भी दर्ज की हैं.