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पहली बार राज्य मंत्री को कानून मंत्रालय का जिम्मा, कैबिनेट फेरबदल पर उठे सवाल

मोदी कैबिनेट में गुरुवार को अचानक फेरबदल किया गया. इसी के साथ केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू कानून मंत्री नहीं रहे. उनकी जगह पर अर्जुन मेघवाल को ये पदभार सौंपा गया है. अब इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि ये फैसला क्यों लिया गया साथ ही क्या ये फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया गया है.

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अर्जुन मेघवाल, किरेन रिजिजू (फाइल फोटो)
अर्जुन मेघवाल, किरेन रिजिजू (फाइल फोटो)

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू अब कानून मंत्री नहीं रहेंगे. उन्हें गुरुवार को भू विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया है. इसी के साथ उनके डिप्टी या फिर यूं कह लें केंद्रीय मंत्रालय की सहयता के लिए नियुक्त किए गए राज्य मंत्री को भी पद से हटा दिया गया है. इस तरह रिजिजू के साथ ही साथ राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का भी दायित्व बदल दिया गया है. 

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मोदी कैबिनेट में हुआ बड़ा बदलाव
मोदी कैबिनेट में गुरुवार को अचानक हुए इन बदलावों ने जहां आश्चर्य में डाला है, वहीं इस फेरबदल के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं. सबसे पहला सवाल तो यह कि इस बदलाव में जिस तरह से रैंक को परे रखा गया है, क्या यह आनन-फानन में लिया गया फैसला है? इस पूरे घटनाक्रम में सवाल उठाते हुए कई बिंदू नजर आ जाएंगे.

मेघवाल के चार्ज लेते समय मौजूद नहीं थे रिजिजू
गुरुवार को जब किरेन रिजुजु को कानून मंत्री पद से हटाया गया तो नवनियुक्त मंत्री अर्जुन मेघवाल उनसे मिलने उनके घर गए थे, लेकिन जब मेघवाल ने मंत्रालय का चार्ज लिया तब रिजिजु मंत्रालय में मौजूद नहीं थे. जबकि अक्सर देखा गया है कि सरकार में जब किसी मंत्रालय का मंत्री बदलता है तो पुराना मंत्री नए मंत्री को चार्ज देता है. 

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पहली बार घटाया गया लॉ मिनिस्ट्री का दर्जा
एक और बड़ा प्वाइंट ये है कि भारत के पहले कानून मंत्री बीआर आंबेडकर से लेकर किरेन रिजिजु तक हमेशा कानून मंत्रालय कैबिनेट रैंक के मंत्री को दिया गया है. अंबेडकर से लेकर रिजूजू तक लॉ मिनिस्टर कैबिनेट रैंक था. पहली बार लॉ मिनिस्ट्री का दर्जा घटाया गया और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किया गया है. इसकी वजह है कि मेघवाल राज्यमंत्री है और राज्यमंत्री को स्वतंत्र प्रभार करने पर शपथ की औपचारिकता की जरूरत नहीं रहती. टेक्निकल इश्यू ये भी है कि राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) के नीचे राज्यमंत्री रह सकता है कि नहीं, क्योकि एसपीसिंह बघेल उसी कानून मंत्रालय में राज्यमंत्री थे, इसलिए उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्यमंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई हैं.

कैबिनेट मंत्री को दिया गया भू विज्ञान विभाग
इसी तरह भू विज्ञान मंत्रालय हमेशा से विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के साथ किसी राज्य मंत्री को स्वतंत्र प्रभार में दिया जाता रहा है. रिजिजु से पहले यह डॉ. जितेंद्र सिंह के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर था, लेकिन एक कैबिनेट मंत्री को भूविज्ञान विभाग देना भी एक अनूठा कदम माना जा रहा है. 2014 में मोदी सरकार बनने पर एक नया प्रयोग किया गया था. तब दस ऐसे राज्य मंत्री थे जिन्हें अपने विभागों का स्वतंत्र प्रभार तो था लेकिन वे अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री भी थे. 

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उदाहरण के तौर पर पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमन, धर्मेंद्र प्रधान, जनरल वीके सिंह आदि के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर भी मंत्रालय था और वे अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ उनके मंत्रालय में राज्य मंत्री भी थे. इसीलिए आज के घटनाक्रम को भी प्रशासन में एक नए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है.

 

Cabinet Reshuffle: किरेन रिजिजू से क्यों छिना कानून मंत्रालय?

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