सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व जज रुमा पॉल ने साल 2013 में कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा था कि ये सिस्टम ऐसा है जैसे सरकार और कोर्ट एक दूसरे से कह रहे हों कि तुम हमारा ख्याल रखो और हम तुम्हरा. ये प्रक्रिया न्याय के लिए सही नहीं. दशक भर होने को आए, बहस जारी है कि कॉलेजियम सिस्टम सही है या नहीं. जजों की नियुक्ति पर कोर्ट ने कहा कि सरकार इसे लटकाए नहीं. कोर्ट में काम प्रभावित हो रहा है. कल किरेन रिजिजू जो देश के कानून मंत्री हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सिफारिश की है कि कॉलेजियम में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए. जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सरकारी प्रतिनिधि शामिल करने से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और जनता के प्रति जवाबदेही भी तय होगी.
किरेन रिजिजू के इस पत्र पर कई तरह की प्रतिक्रिया भी आई. कुछ लोगों ने इसे जरूरी बताया तो कुछ ये भी कह रहे हैं कि नियुक्ति में किसी भी तरह का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए क्योंकि इसका असर कोर्ट के फैसलों पर पड़ेगा. बहरहाल सरकार ऐसा चाहती क्यों है, अब तक के सिस्टम से क्यों सरकार असन्तुष्ट दिखाई दे रही है, खास कर न्यायपालिका में नियुक्ति को लेकर और इस सुझाव में क्या दिक्कतें दिखाई देती हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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चुनावी तैयारियों के मामले में बीजेपी सबसे तेज़ पार्टी कही जाती है. इस साल 9 राज्यों में चुनाव हैं. और 2024 भी पास है. इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली के NDMC कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुई. दो दिन की ये बैठक है , आज भी जारी रहेगी. कल इस बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद मार्ग के पटेल चौक से लेकर NDMC कन्वेंशन सेंटर तक 15 मिनट का रोड शो किया था. कल के बैठक में क्या हुआ और किन बातों पर चर्चा हुई और किस तरह से ये इम्पोर्टेंट है बीजेपी के लिए ये बैठक जब इस साल नौ राज्यों में चुनाव हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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भारत जोड़ो यात्रा की यूपी में एंट्री के वक्त कांग्रेस ने सपा और बसपा को न्योता भिजवाया था. अखिलेश यादव और मायावती ने यात्रा से दूरी तो बनाई लेकिन दोनों ने आमंत्रण के लिए राहुल गांधी को शुक्रिया कहा. पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के प्रति आक्रामक रहीं मायावती के राहुल गांधी को शुक्रिया के बाद ये कयास लग रहे थे कि यूपी में गठबंधन पर मायावती विचार कर सकती हैं. सॉफ्ट रुख को लेकर बातें होने लगी थी. लेकिन परसों अपने जन्मदिन के मौके पर मायावती ने अपने बयान से इन सारे कयासों को खारिज कर दिया.उन्होंने कहा कि हम चुनावों में अकेले ही उतरेंगे. मायावती के इस रुख के पीछे की वजह क्या है, गठबंधन में न उतरने के पीछे मायावती के कारण और रणनीति क्या हैं और बसपा अगर उस रास्ते नहीं जा रही तो फिर उसके रिवाइवल का प्लान क्या है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.