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किसान आंदोलन: समेटे जा रहे टेंट, क्या होगा आंदोलन के लिए लाए गए AC-फ्रिज का?

तीन कृषि कानूनों व अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ किसान आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा ने स्थगित कर दिया. दिल्ली की सभी सीमाओं समेत सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर बैठे किसानों ने भी अपनी झोपड़िया और टेंट समेटना शुरू कर दिया है. किसान नेता रूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसकी समाप्ति भी ऐतिहासिक होगी.

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Sonipat
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों की घर वापसी की तैयारी
  • क्या होगा आंदोलन के लिए लाए गए सामान का?

तीन कृषि कानूनों व अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ किसान आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा ने स्थगित कर दिया. दिल्ली की सभी सीमाओं समेत सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर बैठे किसानों ने भी अपनी झोपड़िया और टेंट समेटना शुरू कर दिया है. किसान नेता रूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसकी समाप्ति भी ऐतिहासिक होगी.

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उन्होंने कहा 11 तारीख को सुबह 9:00 बजे हम फतेह मार्च करते हुए सभी बोर्डरों को खाली करते हुए अपने घर की तरफ रवानगी करेंगे. उन्होंने कहा- हम सभी ने एक दूसरे की मदद से एक गांव बसाया था. ऐसे में अभी एक दूसरे से बहुत ज्यादा नजदीकियां बढ़ चुकी हैं और इमोशनल रिश्ते भी बन चुके हैं, तो यहां से जाने के बाद याद भी आयेगी.  जगह को छोड़ते हुए दर्द भी होगा. 

क्या होगा आंदोलन के लिए लाए गए AC-फ्रिज का?

वहीं, आंदोलन में पहुंची जूस की मशीन, एसी, फ्रिज पर उन्होंने बताया कि यह सभी जत्थे बंदियों का अपना फैसला होगा कि इसका उन्हें क्या करना है. अपने साथ ले जाना है या यहीं पर किसी को दे कर जाना है. जहां आंदोलन ऑफिस बनाया गया था, वहां पर सभी चीजों को वैसे ही छोड़ दिया जाएगा. इसके अलावा मेन स्टेज को भी तोड़ा जाएगा और वहां पर जो भी सामान है, उसका क्या करना है ये भी किसान मोर्चा के ऊपर है.

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टेंट और झोपड़ियां समेटने लगे किसान

बता दें कि तीन कृषि कानूनों की वापसी व अन्य मांगों को लेकर किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल पहले किसान आंदोलन की शुरुआत की थी. इसके करीब एक साल बाद सरकार ने किसानों की सभी मांगों पर सहमति जता दी है और तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. ऐसे में गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया और सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल किसानों ने अपने-अपने टेंट और झोपड़ियों को हटाना शुरू कर दिया है.

दिल्ली में घुसने नहीं दिया तो सीमाओं पर बैठ गए थे किसान

गौरतलब है कि सबसे पहले 1-26 नवंबर 2020 को हजारों की संख्या में पंजाब-हरियाणा के किसान ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान और जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने जा रहे थे, लेकिन हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर ही रोक दिया. इसके बाद किसानों ने सीमाओं पर बैठकर ही अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया. करीब एक साल बीत जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की मांगों को मान लिया तीनों को रद्द कर दिया.

हरियाणा में भाजपा-जजपा नेताओं का बायकॉट भी खत्म
 
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा अपने आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा के साथ, हरियाणा के जींद के एक कृषि संघ के नेता ने गुरुवार को कहा कि वे अब राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा नेताओं के "बहिष्कार" को भी समाप्त करेंगे. फार्म यूनियन के नेताओं ने यह भी कहा कि वे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर अपने साल भर के आंदोलन के बाद अपने घरों को लौटने वाले किसानों का गर्मजोशी से स्वागत और सम्मान करने की तैयारी कर रहे हैं. किसान आंदोलन के कारण राजस्थान-हरियाणा सीमा पर शाहजहांपुर में आंशिक रूप से बंद जयपुर-दिल्ली राजमार्ग किसान आंदोलन की वापसी के साथ शुक्रवार से फिर से खुल जाएगा. सीमा पर बैठे किसान औपचारिक रूप से आंदोलन के आह्वान के बाद अपने-अपने गांवों को लौट जाएंगे. 

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