केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. इस बीच, किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को देशभर में चक्का जाम का ऐलान किया है. किसान शनिवार 6 फरवरी को देशभर में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम करेंगे.
इससे पहले, किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर 30 जनवरी को दिनभर का उपवास रखा था. किसान संगठनों ने दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड भी निकाली थी. हालांकि ट्रैक्टर रैली में काफी बवाल हुआ.
असल में, पांच नवंबर 2020 को देशभर में चक्का जाम के बाद पंजाब और हरियाणा में किसान संगठनों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया था. हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने की कोशिश की और आंसू गैस के गोले भी दागे, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली पहुंच गए और बॉर्डर पर जम गए. तब से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का ये धरना-प्रदर्शन जारी है.
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11 दौर की वार्ता बेनतीजा
बहरहाल, इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार संग 11 दौर की वार्ता हो चुकी, मगर कोई नतीजा निकलकर सामने नहीं आया. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अडिग हैं.
'गैर कानूनी रूप से डिटेन, रिहाई की अपील'
इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इसमें कहा गया है कि 26 जनवरी और उसके बाद दिल्ली में जिन लोगों को भी गैरकानूनी रूप से पुलिस ने हिरासत में ले रखा है उनकी तुरंत रिहाई करने का कोर्ट आदेश करे. याचिका में कहा गया है कि 26 जनवरी और उसके बाद टिकरी, गाजीपुर और सिंधु बॉर्डर से पुलिस ने बहुत सारे लोगों को उठाकर डिटेन कर लिया है, जो पूरी तरह से गैर कानूनी है.
याचिका में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अगर पुलिस गिरफ्तार करती है तो 24 घंटे के भीतर उसे कोर्ट के सामने पेश करना होता है, लेकिन बहुत सारे लोग अभी भी डिटेन किए हुए हैं. उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. ऐसे में कोर्ट की तरफ से निर्देश दिया जाए कि पुलिस गैरकानूनी रूप से डिटेन लोगों को तुरंत रिहा करे.