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जंतर-मंतर पर टिकैत बोले- मीनाक्षी लेखी ने किसी के कहने पर बयान दिया

जंतर-मंतर पर किसान संसद के पहले दिन मवाली कहे जाने पर विवाद बढ़ने पर मीनाक्षी लेखी (Meenakshi lekhi) ने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया. उन्होंने कहा कि मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है, अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं.

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जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल होने पहुंचे किसान (फोटो-संजय कुमार)
जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल होने पहुंचे किसान (फोटो-संजय कुमार)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों पर मीनाक्षी लेखी की टिप्पणी के बाद बढ़ा विवाद
  • विवाद बढ़ने पर लेखी की सफाई, मैं अपने शब्द वापस लेती हूं
  • हम किसान हैं, गुंडे नहीं, किसान जमीन के 'अन्नदाता': टिकैत

संसद से महज थोड़ी दूर जंतर-मंतर पर चल रहे किसानों की किसान संसद का आज दूसरा दिन है. केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान पर किसान भड़के हुए हैं. किसान संसद के लिए सिंघु बॉर्डर से किसानों की बस भारी सुरक्षा के जंतर-मंतर पहुंची और फिर राष्ट्रगान के साथ किसान संसद शुरू हुआ.

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जंतर-मंतर पर किसान संसद के दूसरे दिन आजतक के साथ बातचीत करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि कल 10 राज्यों से ज्यादा के लोग जंतर-मंतर पर कल थे और उन्होंने अपनी-अपनी दिक्कतें बताईं. सबसे बड़ी दिक्कत एमएसपी पर बताई गई है.

राष्ट्रगान के साथ किसान संसद शुरू
राष्ट्रगान के साथ किसान संसद शुरू

हम महिलाओं से माफी नहीं मंगवातेः टिकैत

मवाली कहे जाने पर राकेश टिकैत ने कहा कि मवाली तो उनको कहा जाता है जो कि बड़े-बड़े बाल रखते हैं या उठाईगिरी करते हैं और ये तो दिल्ली के लोग हैं जो चमचमाते बंगलों में रहते हैं. ये जमीन पर नहीं रहते और इन्हें हम ऐसे ही दिखते हैं क्योंकि हमारी झोपड़ी बांस की बनी हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि हमने तो कल ही कहा था कि उन्होंने (मीनाक्षी लेखी) किसी के कहने पर बयान दिया है. उनके कागज पर लिख करके दिया गया था. कोई ना कोई इनका ऑफिस है जहां यह बताया जाता है कि किसको क्या कहना है. लेकिन शाम तक बयान आ गया. ठीक है और हम कोई लड़कियों या महिलाओं से बयान और माफी नहीं मंगवाते हैं. उन्हें अपने विभाग के लिए काम करना चाहिए. दिल्ली के हेल्थ और एजुकेशन के बारे में काम करना चाहिए.

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टिकैत ने कहा कि अगर शेर देख करके दुबक जाए तो हिरण को यह नहीं सोचना चाहिए कि शेर शांत है बल्कि वह कोई न कोई दांव चलेगा. दिल्ली का शेर चुप है इसका मतलब है कि वह हरकत करेगा और गांव वाले सावधान रहें. वह ना हारा है और ना ही कमजोर है.

इससे पहले किसान नेता मंजीत राय ने कहा कि कल सरकार ने हमें थोड़ा सा परेशान किया. कल हम 2 घंटे गोल-गोल घूमते रहे. हमने 1 बजे अपनी संसद वहां लगा दी थी. जंतर-मंतर से हमें आगे सरकार ने नहीं जाने दिया. बड़ी-बड़ी बेरिकेटिंग लगाकर हमें रोक दिया गया. आज समय से किसानों की संसद चलेगी.

जंतर-मंतर पर किसान (फोटो-संजय कुमार)
जंतर-मंतर पर किसान (फोटो-संजय कुमार)

किसान नेता ने कहा कि कल पहली बार इतिहास में हुआ कि किसानों ने अपनी संसद लगाई और जिसका असर संसद में भी देखने को मिला. वहां पर भी संसद नहीं चलने दिया गया और बार-बार संसद का काम रुक गया. किसानों का संसद आज समय से शुरू होगा और कल की तरह आज भी 200 किसान शामिल होंगे.

इससे पहले सिंघु बॉर्डर से किसानों की बस किसान संसद के लिए सवा 10 बजे रवाना हुई.

हम किसान हैं, गुंडे नहींः राकेश टिकैत

विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गुंडे वे हैं जिनके पास कुछ भी नहीं है. किसानों पर इस तरह की टिप्पणी करना गलत है. हम किसान हैं, गुंडे नहीं. किसान जमीन के 'अन्नदाता' हैं.

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लेखी की टिप्पणी पर राकेश टिकैत के अलावा किसान नेता शिव कुमार कक्का ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणी भारत के 80 करोड़ किसानों का अपमान है. अगर हम गुंडे हैं तो मीनाक्षी लेखी को हमारे द्वारा उगाए गए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए. उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए.

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हालांकि विवाद बढ़ने पर बीजेपी नेता लेखी की ओर से सफाई पेश की गई और कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं.

क्या कहा था मीनाक्षी लेखी ने

विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कल कहा था कि पहली बात तो आप उनको किसान कहना बंद कीजिए क्योंकि वो किसान नहीं हैं. किसानों के पास इतना समय नहीं कि वो जंतर-मंतर पर धरना देकर बैठे. वो अपने खेतों में काम कर रहा है. ये सिर्फ साजिशकर्ताओं द्वारा भड़काए हुए लोग हैं जो किसानों के नाम पर ये हरकतें कर रहे हैं.  

उन्होंने यह भी कहा कि ये सिर्फ आढ़तियों द्वारा बैठाए हुए लोग हैं ताकि किसानों को कृषि कानून का फायदा न मिल सके. जब मीनाक्षी से 26 जनवरी को हुई घटना के बावजूद जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को आने की इजाजत के बारे में पूछा गया तो वो भड़क गईं. मीनाक्षी लेखी ने कहा कि आप उन लोगों को फिर से किसान बोल रहे हैं. मवाली हैं वो. 26 जनवरी को जो कुछ हुआ वो शर्मनाक था और विपक्ष द्वारा ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया गया.

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