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Karnataka Hijab Row के बीच क्यों हो रही है सुप्रीम कोर्ट के 1986 के फैसले की चर्चा, जानिए केरल के तीन स्कूली छात्रों का क्या था केस?

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में गुरुवार को तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. लेकिन इस केस को लेकर 1986 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की चर्चा भी की जा रही है. आइए जानते हैं 36 साल पुराने इस फैसले के बारे में.

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देश भर में फैल रही है कर्नाटक के हिजाब मामले की आंच
देश भर में फैल रही है कर्नाटक के हिजाब मामले की आंच
स्टोरी हाइलाइट्स
  • SC का 36 साल पुराना फैसला हिजाब विवाद पर रोशनी डाल सकता है
  • राष्ट्रगान न गाने पर बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था

कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज आने का मामला अब राजनीतिक बनता जा रहा है. करीब एक महीने से चल रहे इस विवाद ने अब अंतर्राष्ट्रीय खबरों में भी जगह बना ली है, तो वहीं यह विवाद अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है. इसे चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशन किया गया है और इस केस को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करके सुनवाई करने की मांग की गई है.

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इस केस को लेकर 1986 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की चर्चा भी की जा रही है. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के 36 साल पुराने फैसले के बारे में, जो इस मुद्दे पर थोड़ी रोशनी डाल सकता है. 1986 में, सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (आर्टिकल 25) पर चर्चा करते हुए एक फैसला सुनाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट के अब तक के सबसे ऐतिहासिक फैसलों में से एक समझा जाता है. 

Bijoe Emmanuel and Others versus State of Kerala

बिजो इमैनुएल और अन्य बनाम केरल राज्य (Bijoe Emmanuel and Others versus State of Kerala) बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है. 1985 की बात है, केरल के एक स्कूल में असेंबली के दौरान तीन बच्चे राष्ट्रगान नहीं गा रहे थे. ये बच्चे थे- बिजो इमैनुएल (15) और उसकी दो बहनें बीनू मोल (13) और बिंदु (10). ये तीनों बच्चे इसाई धर्म के जेहोवा विटनेस संप्रदाय से आते थे, जो किसी पूजा में यकीन नहीं रखते थे और राष्ट्रगान गाना भी इनके लिए मूर्तिपूजा जैसा ही था.

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राष्ट्रगान न गाने की बात पर तीनों बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया था. इसपर ये बच्चे हाई कोर्ट गए, जहां दो बार उनकी अर्ज़ी को ठुकरा दिया गया. इसके बाद, वह सुप्रीम कोर्ट गए जहां स्कूल को आर्टिकल 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार) और आर्टिकल 25 (धर्म की स्वतंत्रता) के तहत अपने अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी गई. 

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के पक्ष में किया फैसला

1986 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि धार्मिक आस्था की वजह से राष्ट्रगान गाने से इनकार करने के लिए, उन्हें स्कूल से निकाला जाना, संविधान द्वारा दिए अधिकार आर्टिकल 19(1)a और आर्टिकल 25(1) का उल्लंघन है. 

आपको बता दें कि आर्टिकल 19(1)a के अंतर्गत, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण द्वारा लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से किसी के विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार है.

आर्टिकल 25 (अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के तहत, भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने की तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से किया इनकार 

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस मामले को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करके सुनवाई करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशन भी किया गया, लेकिन कोर्ट ने इसपर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब मामला हाई कोर्ट में है तो इस स्टेज पर दखल देने का क्या मतलब है? 

कब और कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

इस विवाद की शुरुआत दिसंबर 2021 से शुरू हुई, जब गवर्मेंट महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से रोक दिया गया. 31 दिसंबर 2021 को छात्राओं ने प्रदर्शन किया और कॉलेज के फैसले को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी.

उधर कर्नाटक सरकार ने राज्य में Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू कर दी है. इस वजह से अब सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तो तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी, प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं.

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में गुरुवार को तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितू राज अवस्थी की अध्यक्षता में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच मामले की सुनवाई करेगी.

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इस मामले की आंच अब देश भर में फैल रही है. हैदराबाद और महाराष्ट्र में इस मामले पर प्रदर्शन हुआ, तो वहीं हर जगह इस मामले पर बयान बाजियां चल रही हैं. इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हिजाब के समर्थन में रैली निकाली गई. भोपाल में मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर फुटबॉल भी खेला. 

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