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निर्वाचन आयोग में ऐसा क्या हुआ कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल को देना पड़ा इस्तीफा? जानिए इनसाइड स्टोरी

निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. अब पूरी चुनावी व्यवस्था का जिम्मा मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार पर आ गया है. अरुण गोयल के इस्तीफे की असल वजह अभी सामने नहीं आई है लेकिन कहा जा रहा है कि उनके मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेद चल रहे थे.

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चुनाव आयुक्त पद से दिया था अरुण गोयल ने इस्तीफा
चुनाव आयुक्त पद से दिया था अरुण गोयल ने इस्तीफा

निर्वाचन आयोग में 7 और 8 मार्च को ऐसा क्या हुआ कि उसी दिन निर्वाचन आयोग में इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया? कुछ बहुत गंभीर बात हुई है जिसकी वजह से अपनी चार साल की सेवा को अरुण गोयल ने ठोकर मार दी. अगले चार साल में दो साल से ज्यादा गोयल  मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर रहते.

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जब अजय भल्ला ने की थी CEC संग बैठक

सूत्रों की मानें तो गोयल के कुछ मुद्दों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेद तो थे. ये अलग बात है कि अमूमन बड़े अधिकारियों के बीच इतने मतभेद तो चलते हैं रहते हैं, लेकिन छह और सात मार्च को आयोग में माहौल थोड़ा अलग महसूस किया गया.

आठ मार्च को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला निर्वाचन सदन आए थे. अजय भल्ला ने निर्वाचन आयोग के अधिकतर राज्यों में चुनावी तैयारियों को समीक्षा के बाद आम चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती और आवाजाही का प्लान चेक किया. इसका उद्देश्य था कि जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र सहित पूरे देश में चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहज और निर्भय माहौल में कराए जा सकें.

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बैठक से गैर हाजिर थे अरुण गोयल

सूत्रों के मुताबिक उस मीटिंग में भी गोयल गैर हाजिर थे. सीईसी राजीव कुमार अकेले थे. उस मीटिंग में गृह सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा में राजीव कुमार के साथ अन्य निचले पायदान के आला अधिकारी मौजूद थे. सूत्र बता रहे हैं कि पहले से चले आ रहे हल्के-फुल्के मतभेद 6-7 मार्च की रात में गहरा गए.  इसी में बात कुछ ऐसी निकली कि इतनी दूर तक चली गई.

15 मार्च तक होगी नए पदों पर नियुक्ति

अब सरकार निर्वाचन आयोग में खाली हुए आयुक्तों के पद 15 मार्च तक भरने की कवायद में जुटी है. अब तक एक ही निर्वाचन आयुक्त की बहाली में जुटी सरकार को आनन-फानन में दो निर्वाचन आयुक्तों की बहाली की कसरत करनी पड़ रही है.सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 6-7 अफसरों का पैनल तो पहले से ही तैयार है.

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 प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की ओर से मनोनीत एक मंत्री की चयन समिति संभवत: मंगलवार तक इस बाबत बैठक करेगी. सरकार की पूरी कोशिश है कि दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति चुनाव की घोषणा से पहले हो जाए. सरकार के पास इस बुलेट रफ्तार के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है.

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 हालांकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल की नियुक्ति इसी बुलेट रफ्तार से किए जाने पर तंज कसा था. कोर्ट ने तब कहा था कि ऐसा कौन सा आसमान टूटा पड़ रहा था कि सरकार बिजली को तेजी से काम करने लगी. एक दिन में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई, लेकिन इस बार अर्जेंसी कुछ अलग है और जायज भी है. 
 

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