30 दिसंबर 2023... यानी आज से ठीक 10 दिन पहले बीजेपी ने राजस्थान सरकार में सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया. तब बीजेपी के इस फैसले ने सभी को इसलिए चौंका दिया था, क्योंकि सुरेंद्र पाल बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गए थे. हालांकि, उन्हें मंत्रालय आवंटित नहीं किया गया था. बीजेपी ने बाद में सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को करणपुर उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था. पार्टी को लगा था कि मंत्री बनाए जाने के बाद टीटी की जीत की उम्मीद काफी बढ़ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी की रणनीति बुरी तरह से फेल हो गई.
मंत्री बनने के बाद सुरेंद्र पाल सिंह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हो गए थे. उन्होंने कहा था कि श्रीकरणपुर के मतदाता बहुत समझदार हैं, वे चुनाव जरूर जीतेंगे. उन्होंने कहा था कि पार्टी ने उनके माध्यम से सिख समाज को सम्मानित किया. बीजेपी सभी 36 कौमों को साथ लेकर चलती है. बता दें कि पिछले महीने चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस उम्मीदवार और तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह कूनर के निधन के कारण मतदान स्थगित कर दिया गया था. उसके बाद उपचुनाव की घोषणा हुई थी. कांग्रेस ने कूनर के बेटे रूपिंदर सिंह को इस सीट से मैदान में उतारा था.
शुरुआत से ही पीछे चल रहे थे टीटी
दरअसल, बता दें कि बीजेपी प्रत्याशी और मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी शुरुआती राउंड में ही पीछे हो गए थे. दोपहर 11.50 बजे करणपुर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी 3 हजार वोटों से पीछे चल रहे थे. इसके बाद 9वें राउंड की काउंटिंग के बाद कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह 4802 वोटों से आगे चल रहे थे. उन्हें 47930 वोट मिले थे. वहीं, बीजेपी के सुरेंद्र पाल को 43128 वोट मिले थे. इसके बाद दोपहर ढाई के बजे के आसपास फाइनल नतीजे भी घोषित हो गई और टीटी को हार का सामना देखना पड़ा.
'भजन लाल ने 15 दिसंबर को शपथ ली थी'
नियमों के मुताबिक, मंत्री बनने के बाद से सुरेंद्र पाल सिंह के पास विधायक चुने जाने के लिए छह महीने का समय है. 15 दिसंबर को बीजेपी के भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नवनिर्वाचित विधायक दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.
'कांग्रेस ने टीटी की शपथ पर जताई थी आपत्ति'
इससे पहले राज्य में कुल 199 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी 115 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 69 सीटें जीती थीं. बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो सुरेंद्र पाल सिंह को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति भी जताई थी. कांग्रेस का कहना था कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है. उम्मीदवार के हार-जीत के नतीजे से पहले ही मंत्री पद की शपथ दिलाना गैर कानूनी है.