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क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग, जानिए भारत में कैसे लगाया जा रहा कोरोना के नए स्ट्रेन का पता?

जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.

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 कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने से हड़कंप (फाइल फोटो-PTI)
कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने से हड़कंप (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने से हड़कंप
  • जीनोम सिक्वेंसिंग से स्ट्रेन की मिली जानकारी
  • वायरस के बारे में जानने की विधि है जीनोम सीक्वेंसिंग

ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने के बाद भारत भी सतर्क है. 16 देशों में पैर पसार चुका नया वायरस भारत पहुंच चुका है, जो पिछले कोरोना वायरस स्ट्रेन से ज्यादा संक्रामक है. बताया जा रहा है कि यह स्ट्रेन सत्तर फीसदी ज्यादा संक्रामक है. इस बीच, ब्रिटेन से आने वालों में 114 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले. इनके सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भारत के 10 अलग-अलग प्रयोगशालाओं में भेजे गए. तब पता चला कि 6 लोगों में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन है. सवाल उठता है कि आखिर क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग जिससे नए स्ट्रेन का पता लगाया जा रहा है.

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सरल भाषा में कहें तो जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.

असल में, मानव कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है जिसे डीएनए, आरएनए कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. वहीं स्ट्रेन को वैज्ञानिक भाषा में जेनेटिक वैरिएंट कहते हैं. सरल भाषा में इसे अलग-अलग वैरिएंट भी कह सकते हैं. इनकी क्षमता अलग-अलग होती है. इनका आकार और इनके स्वभाव में परिवर्तन भी पूरी तरह से अलग होता है.

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बताया जा रहा है कि देश में कोरोना वायरस के अब तक एक दर्जन से ज्यादा स्ट्रेन की जानकारी मिल चुकी है. इनमें सार्स कोविड से लेकर कोरोना वायरस तक के स्ट्रेन शामिल हैं. इनमें A-2, B-4, A-3 जैसे स्ट्रेन शामिल हैं.

देश में कहां-कहां है सुविधा

गुजरात के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में एक बड़ी सफलता हासिल की है. यहां के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार कोरोना वायरस के पूरे जीनोम सिक्वेंस को खोजा है. गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के पूरे जीनोम सिक्वेंस को खोज लिया है. जीनोम सिक्वेंस से कोरोना वायरस की उत्पत्ति, दवा बनाने, वैक्सीन विकसित करने, वायरस के टारगेट और वायरस को खत्म करने को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें पता चलेंगी. 

वैसे भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा कम है. देश में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), सीएसआईआर-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), डीबीटी - इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), डीबीटी-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), डीबीटी - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), (कल्याणी, पश्चिम बंगाल), आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) जैसे चुनिंदा प्रयोगशालाएं हैं.


 

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