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BJP को तेलंगाना से क्यों हैं इतनी उम्मीदें? इसलिए बिछा रही है KCR के खिलाफ सियासी बिसात

तेलंगाना में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए अभी से अपनी तैयारियां तेज कर दी है. बीजेपी को इस राज्य में कई संभावनाएं नजर आ रही हैं और यही वजह है कि पार्टी ने यहां सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है.

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बीजेपी को तेलंगाना से हैं कई उम्मीदें (फाइल फोटो)
बीजेपी को तेलंगाना से हैं कई उम्मीदें (फाइल फोटो)

तेलंगाना में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव (Telangana Assembly Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. कभी बीजेपी के लिए अछूत रहे इस राज्य से पार्टी को काफी उम्मीदें हैं और ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय के चुनावी नतीजों ने पार्टी को दक्षिण भारत के इस महत्वपूर्ण सूबे में उम्मीद की किरण दिखा दी है.

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बीजेपी को तेलंगाना के पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर जीत मिली थी. 2019 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ और पार्टी चार सीटें जीतने में सफल रही. विधानसभा क्षेत्र के लिहाज से देखें तो बीजेपी को भले ही एक सीटें जीतने में सफल रही हो, लेकिन 2019 में जिन चार लोकसभा सीटों पर जीती थी, उस लिहाज से 21 विधानसभा क्षेत्रों में उसे बढ़त मिली थी. विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में इस प्रदर्शन ने तेलंगाना बीजेपी में उत्साह का संचार कर दिया और पार्टी को सूबे में सियासी संभावनाएं बेहतर नजर आने लगीं. 

बीजेपी को इसलिए दिख रहा है अवसर

बीजेपी ने तेलंगाना में कमल खिलाने का जिम्मा राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल को सौंपी गई है. यूपी में बीजेपी को जिताने का ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए बंसल को तेलंगाना का प्रभार सौंपा गया है, जिसके बाद उन्होंने बूथ स्तर पर तैयारियां तेज कर दी हैं. बूथ कमेटियों का गठन करने के साथ ही बीजेपी हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व को आपसी मनमुटाव दूर करने के निर्देश भी दिए हैं. पार्टी के दिग्गजों को निर्देश दिया दिया गया है कि वे केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर घर-घर जाएं और लोगों को बताएं.

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विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी जिस आक्रामक रणनीति के साथ तैयारियों में जुटी है, कई सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये भी है कि पांच साल पहले यानी 2018 के विधानसभा चुनाव में जिस राज्य में पार्टी को सात फीसदी से भी कम वोट और एक सीट पर जीत मिली हो, उस राज्य में बीजेपी को ऐसा क्या नजर आ गया कि पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है?

दरअसल, बीजेपी को तेलंगाना में नजर आ रही उम्मीदों की वजह लोकसभा, स्थानीय और निकाय चुनाव के नतीजे हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्थानीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजों की तुलना नहीं की जा सकती लेकिन ये परिणाम सियासी ग्राफ का आकलन करने के लिए मुफीद भी हैं.

 2019 में बीजेपी के वोट शेयर में जबरदस्त उछाल
 
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तेलंगाना में बीजेपी के वोट शेयर में जबरदस्त उछाल नजर आया. 2018 के विधानसभा चुनाव में सात फीसदी से भी कम वोट पाने वाली पार्टी का वोट शेयर लोकसभा चुनाव में बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया. बीजेपी ने 21 विधानसभा क्षेत्रों में शानदार बढ़त बनाई. कुल 119 विधानसभा सीटों में से 22 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी दूसरे स्थान पर रही. छह महीने पहले यानी दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों से इसकी तुलना करें तो पार्टी के वोट शेयर में एक साल के भीतर 13 फीसदी का जबरदस्त उछाल आया. 

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बीआरएस के मत प्रतिशत में गिरावट

इतना ही नहीं, बीजेपी को TRS (जिसे अब BRS के नाम से जाना जाता है) की तुलना में ज्यादा फायदा हुआ. 2018 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने 46.87 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 88 सीटें जीती थीं और लोकसभा चुनाव के दौरान वोट शेयर घटकर 41.71 फीसदी रह गया. बीजेपी छोटे-छोटे दलों और निर्दलीयों के पाले में जाने वाले वोट शेयर में सेंध लगाने में सफल रही थी. अन्य के वोट शेयर में भी लगभग नौ प्रतिशत की गिरावट देखी गई. 

वहीं कांग्रेस इन चुनावों में दूसरे स्थान पर रही और उसने 29.27 फीसदी वोट हासिल किया. वोट हासिल करने में बीजेपी तीसरे स्थान पर रही. पार्टी को 19.45 फ़ीसदी वोट मिले हैं. राज्य में बीजेपी को एक नया जीवनदान दिया है. प्रदेश के नेता इतने उत्साहित हैं कि उन्होंने सत्ताधारी पार्टी टीआरएस के विकल्प में खुद को देखना शुरू कर दिया है.

 

कविता की हार से बीजेपी की जागी उम्मीद
तेलंगाना में टीआरसी की सबसे चौंकाने वाली हार केसीआर की बेटी के. कविता की थी, जो बीजेपी के लिए उम्मीद जगाने का काम किया. कविता निजामाबाद संसदीय सीट से चुनावी मैदान में थीं, जिन्हें बीजेपी के धर्मपुरी अरविंद ने मात दी थी. एसटी समुदाय के लिए आरक्षित आदिलाबाद सीट पर बीजेपी के सोयम बापू राव जीते हैं. करीमनगर से संघ के बड़े नेता समझे जाने वाले बांदी संजय कुमार ने जीत दर्ज की थी. इन चार सीटों से बीजेपी के लिए उम्मीद जगाने का काम किया है. 

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नगर निकाय चुनाव ने बदले समीकरण

 2020 के ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल चुनाव का नतीजों ने सियासी समीकरण ही बदल दिए। भाजपा ने कुल 150 वार्डों में से 48 वार्डों पर 34.56 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. भाजपा ने टीआरएस और अन्य के वोट बैंक में सेंध लगाई. 2016 के नगर निकाय चुनावों की तुलना में बीजेपी के वोट प्रतिशत में 24 फीसदी का उछाल देखा गया। 2016 में बीजेपी मुश्किल से 10 फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ 4 वार्ड जीत सकी थी.

ग्रेटर हैदराबाद में 15 विधानसभा क्षेत्र हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को एकमात्र जीत इसी क्षेत्र से मिली थी. ऐसे में भाजपा को इस राज्य से बड़ी उम्मीदें हैं और और इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. बीजेपी 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना को फतह करने के मिशन पर काम कर रही है? 

 

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