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गुजरात में चुनाव से पहले अशोक गहलोत पर क्यों दिखाया कांग्रेस ने भरोसा, जानिए वजह

गुजरात में प्रभारी रघु शर्मा के आने के बाद अंदरुनी गुटबाजी इतनी ज्यादा हो गई है कि अब तक 11 सीनियर नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी है और बीजेपी जॉइन कर ली है. ये सभी नेता प्रदेश आलाकमान से खफा चल रहे थे.

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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान ने एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी है.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान ने एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2017 के चुनाव में प्रदेश प्रभारी थे गहलोत
  • इस बार पार्टी में फूट को रोकने की चुनौती

गुजरात विधानसभा चुनाव में अब 6 महीने का वक्त भी नहीं बचा है. ऐसे में गुजरात कांग्रेस अब अपनी रणनीति बनाने में लग गई है. पार्टी ने एक दिन पहले ही राजस्थान के CM अशोक गहलोत को गुजरात के सीनियर आब्जर्वर की जिम्मेदारी सौंपी है. उनके साथ दो नेता भी सहयोगी की भूमिका में रहेंगे. इनमें महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता मिलिंद देवरा और छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री टीएस सहदेव का नाम है. 

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दरअसल, गुजरात में प्रभारी रघु शर्मा के आने के बाद अंदरुनी गुटबाजी इतनी ज्यादा हो गई है कि अब तक 11 सीनियर नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी है और बीजेपी जॉइन कर ली है. ये सभी नेता प्रदेश आलाकमान से खफा चल रहे थे. इनमें हार्दिक पटेल, अश्विन कोटवाल, जयराज सिंह परमार का नाम शामिल है.

गहलोत के लिए कांग्रेस में एकता बनाए रखना चुनौती

माना जा रहा है कि रघु शर्मा पार्टी नेताओं में एकता नहीं बना पा रहे हैं और ना ही संगठन के असंतोष को दूर कर पा रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रघु शर्मा पर नजर रखने के साथ-साथ चुनाव से पहले टूटती कांग्रेस में एका बनाए रखने के लिए एक बार फिर अशोक गहलोत को गुजरात में चुनाव को लेकर जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

2017 में गहलोत के फैसलों से पार्टी ने बनाई थी बढ़त

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दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त अशोक गहलोत गुजरात कांग्रेस के प्रभारी थे. उन्होंने गुजरात में 2017 के चुनाव में जिस तरह से फैसले लिए थे, उसकी वजह से 1995 के बाद पहली बार कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं. इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि राज्य में बीजेपी सरकार के खिलाफ 27 साल की एंटी इंकमबेंसी का असर भी देखने को मिल सकता है. यही वजह है कि पार्टी ने अशोक गहलोत पर भरोसा जताया और उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले सीनियर ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि कार्यकर्ताओं में नया जोश देखने को मिले.

बीजेपी 100 सीटों के अंदर सिमट गई थी

अशोक गहलोत के लिए इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस में नेताओं को एक साथ जोड़ कर रखना है. 27 साल से सत्ता से बाहर होने की वजह से कांग्रेस के नेता भी गुटबाजी में बंट चुके हैं. अशोक गहलोत ने 2017 में टुकड़ों में बंटी कांग्रेस को एक साथ एक धागे में पिरोया था. उन्होंने कुशल रणनीति को दिखाया और राज्य में कांग्रेस को जिताने का पूरा प्रयास किया था. इसके अच्छे परिणाम भी पार्टी को देखने को मिले थे और बीजेपी 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह गई थी.

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