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'तलाकशुदा महिला को देने होंगे भरण-पोषण के लिए 32 लाख रुपए,' केरल HC का आदेश

केरल हाईकोर्ट ने तलाकशुदा महिला और उसके बच्चे को 31,68,000 रुपये गुजारा भत्ता देने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है. जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने वाले सत्र न्यायाधीश के फैसले को खारिज कर दिया. दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने पाया था कि पति दो लाख रुपये की मासिक आय प्राप्त कर रहा है.

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केरल हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.
केरल हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

केरल हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक देने वाले एक मुस्लिम शख्स को भरण-पोषण के लिए 31.68 लाख रुपए देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही आजीविका के लिए हर महीने 32 हजार रुपए देने के लिए कहा है, ताकि पत्नी और बच्चा अपना जीवन-यापन कर सकें. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी यही आदेश दिया था. हालांकि, बाद में सत्र न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलट दिया था. अब हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है.

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केरल हाईकोर्ट ने तलाकशुदा महिला और उसके बच्चे को 31,68,000 रुपये गुजारा भत्ता देने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है. जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने वाले सत्र न्यायाधीश के फैसले को खारिज कर दिया. दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने पाया था कि पति दो लाख रुपये की मासिक आय प्राप्त कर रहा है. इसलिए तलाकशुदा पत्नी और बच्चे के मेंटेनेंस के लिए 31,68,000 रुपये की राशि देने के आदेश दिए थे. ट्रायल कोर्ट ने ये भी पाया था कि पत्नी और बच्चे को अपनी आजीविका के लिए प्रति माह कम से कम 33,000 रुपये की जरूरत होगी.

महिला ने 2 लाख रुपए कमाने का किया था दावा

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हालांकि, सत्र न्यायाधीश ने आदेश को रद्द कर दिया था और पति द्वारा कथित रूप से पेश किए गए वेतन प्रमाणपत्र के बाद मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए मजिस्ट्रेट को भेज दिया था. अब हाई कोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय ने पति द्वारा पेश किए गए वेतन प्रमाण पत्र से समझा कि उसका वेतन सिर्फ 70,000 रुपये है. हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा- रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों का सही परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पत्नी और बच्चे को अपनी आजीविका के लिए 33,000 रुपये की आवश्यकता है और पति प्रति माह दो लाख रुपये कमाता है.

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2013 में महिला को दिया था तलाक

बताते चलें कि दंपति इससे पहले दोहा (कतर) में बच्चे के साथ रहते थे. वहां पति काम कर रहा था. दिसंबर 2013 में पति ने महिला को तलाक दे दिया था. पत्नी ने भविष्य के लिए 1 करोड़ रुपये और भरण-पोषण के रूप में 1.5 लाख रुपये की मांग की थी. इसके लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर की. पत्नी का कहना था कि पति वेतन के रूप में प्रति माह 2 लाख रुपये कमाता है. उसे और उसके बेटे को करीब 33 हजार रुपये प्रति माह की जरूरत थी. 8 साल से अलग रह रहे हैं. ऐसे में मेंटेनेंस की राशि 31,68000 रुपये हो गई है.

 

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