पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज गुरुवार को विधानसभा में विधायक पद की शपथ ली. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी को शपथ दिलवाई. विधानसभा के स्पीकर ने शपथ ग्रहण विधानसभा में कराए जाने का अनुरोध किया था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का एक भी विधायक शामिल नहीं हुआ. हालांकि बीजेपी की ओर से आधिकारिक तौर पर शपथ ग्रहण बायकॉट का ऐलान नहीं किया गया था.
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना ममता बनर्जी भूल गई थीं तो तुरंत ही राज्यपाल धनखड़ ने उन्हें याद दिलाया और अपना पेन देने की पेशकश भी की. इससे पहले राज्यपाल जब राजभवन पहुंचे तो ममता बनर्जी खुद राज्यपाल को रिसीव करने बाहर आईं. इस दौरान दोनों के बीच मधुर संवाद भी हुआ.
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शपथ से पहले विवाद की स्थिति
इससे पहले ममता के शपथ को लेकर थोड़ा विवाद भी हुआ था. पश्चिम बंगाल के स्पीकर ने 1 अक्टूबर को राज्यपाल धनखड़ को पत्र लिखकर अपील की थी कि उन्हें राज्यपाल की ओर से ये अधिकार मिले कि वे ममता बनर्जी समेत उपचुनाव में जीते तीनों विधायकों को शपथ दिला सकें. लेकिन राज्यपाल ने इस अपील को ठुकरा दिया.
पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीट पर पिछले महीने 30 सितंबर को उपचुनाव हुए थे जबकि नतीजे 3 अक्टूबर को आ गए. नंदीग्राम सीट पर चुनाव में मिली हार के बाद भवानीपुर लौटीं मुख्यमंत्री ममता भी उपचुनाव में उम्मीदवार थीं. ममता भी उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं, लेकिन शपथ ग्रहण से पहले राज्यपाल के साथ विवाद की स्थिति बन गई.
पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर ने राज्यपाल को पत्र लिखा था. स्पीकर के मुताबिक भवानीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव में विजयी रहीं ममता और जंगीपुर, समसेरगंज सीट के नवनिर्वाचित विधायकों को 7 अक्टूबर के दिन विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेनी है. स्पीकर ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने का आग्रह किया था.
स्पीकर ने राज्यपाल धनखड़ से यह अनुरोध किया था कि वे विधानसभा आकर ममता को शपथ दिलवाएं. लेकिन राज्यपाल ने ट्वीट कर कहा कि विधानसभा निर्वाचन को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद वे फैसला करेंगे कि शपथ ग्रहण कहां और कैसे होगा. ऐसे में तब ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण स्थल को लेकर संशय बना हुआ था कि यह राजभवन में होगा या विधानसभा में.