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'30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी', कोलकाता कांड पर SC के जस्टिस पारदीवाला की कड़ी टिप्पणी

कोलकाता मामले पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा कि इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है. घटना की सूचना पीड़िता के परिजनों को देरी से दी गई. परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई. मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है. वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. 

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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला

कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कोर्ट इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. इस मामले पर अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार और बंगाल पुलिस को जमकर फटकार लगाई. सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की.

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सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में इस मामले पर सुनवाई हो रही है. मामले की सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. इस दौरान जस्टिस पारदीवाला ने बंगाल पुलिस के रवैये और उनके कामकाज पर सवाल उठाए.

बंगाल पुलिस पर क्यों भड़के जस्टिस पारदीवाला?

जस्टिस पारदीवाला ने बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि पोस्टमार्टम कब हुआ था? सिब्बल ने बताया कि शाम छह से सात बजे के बीच. कोर्ट ने पूछा अगर ये अननैचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम क्यों किया गया? नौ अगस्त की रात 11.30 बजे एफआईआर दर्ज हुई. ये बेहद चौकाने वाला मामला है. इस मामले में कोई स्पष्टता नहीं है. आखिर जवाब में इतना समय क्यों लग रहा है? 

उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील से कहा कि अगली सुनवाई के दौरान जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को अदालत में मौजूद रखिएगा. जिसे केस के बारे में जानकारी हो. ये बताइए कि एफआईआर से पहले आपने पुलिस डायरी में यह कब मेंशन किया कि ये अननैचुरल डेथ थी. जस्टिस पारदीवाला का कहना था कि जो सहायक पुलिस अधीक्षक हैं, उनका आचरण भी बहुत संदिग्ध है. उन्होंने ऐसा क्यों किया? राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करिअर में नहीं देखा. बंगाल पुलिस का कामकाज चौंकाने वाला है. 

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बता दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है. घटना की सूचना पीड़िता के परिजनों को देरी से दी गई. परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई. मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है. वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. कोर्ट ने भी कहा कि पुलिस डायरी और पोस्टमार्टम के वक्त में अतंर है. आरोपी की मेडिकल जांच पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए हैं.

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