राजधानी दिल्ली में संसद हमले (Parliament Attack Update) का मास्टरमाइंड और छठा आरोपी ललित झा फिलहाल फरार है. उसकी लोकेशन राजस्थान के नीमराना में पाई गई थी. लेकिन जैसे ही स्पेशल सेल की टीम जब नीमराना (Neemrana) के गंडाला गांव पहुची तो ललित वहां से फरार हो गया. बता दें, (Lalit Jha) एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है. कथित तौर पर उसे कोलकाता (Kolkata) में कई सामाजिक समारोहों में भी देखा गया है. 'इंडिया टुडे' को पता चला है कि ललित के कई एनजीओ से भी लिंक हैं. यही नहीं, उसका अपना खुद का एक काफी बड़ा नेटवर्क है, खासतौर पर पुरुलिया और झाड़ग्राम जिले में.
बता दें, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल फिलहाल ललित की तलाश कर रही है. 'इंडिया टुडे' ने ललित के एक करीबी सहयोगी और एनजीओ पार्टनर, नीलाक्ष आइच जो कि पश्चिम बंगाल में पढ़ते हैं, उनसे बात की. दरअसल, ललित निलाक्ष के एनजीओ साम्यवादी सुभाष सभा का जनरल सेक्रेटरी था.
पता चला कि संसद बवाल के बाद ललित ने सबसे पहले उन्हें ही कॉल किया था. साथ ही दोपहर 1 बजे WhatsApp पर संसद हमले का वीडियो भी भेजा था. हालांकि, जब इस बारे में नीलाक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कॉल करने वाली बात को नकार दिया. लेकिन वीडियो वाली बात को स्वीकार किया. 'इंडिया टुडे' से बातचीत में नीलाक्ष ने ललित के बारे में कई बातें बताईं.
सवाल: आप ललित को कैसे जानते थे?
जवाब: मैं ललित से इसी साल सेंट्रल एवेन्यू कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में मिला था. मैं उस कार्यक्रम में अतिथि था. ललित ने खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पेश किया जो पिछड़े वर्गों के लिए सामाजिक कार्यकर्ता करना पसंद करता है. इसके अलावा उसने कोई अन्य विवरण नहीं दिया.
सवाल: आपने ललित को अपने एनजीओ का महासचिव क्यों बनाया?
जवाब: जिन लोगों ने हमारा संगठन बनाया है, वे कॉलेज के छात्र हैं. हम झारग्राम और पुरुलिया जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में काम के लिए फिजिकल तौर पर हमेशा मौजूद नहीं रह सकते. तो ललित ने हमें कहा कि वो ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे लिए काम कर सकता है. इसलिए हमने उसे एनजीओ का महासचिन बना दिया. क्योंकि हमें ऐसा ही वर्कर चाहिए था जो ग्रामीण क्षेत्रों पर कभी भी जाने में न हिचकिचाए. जरूरत पड़ने पर तुरंत वहां पहुंचे.
सवाल: क्या संसद पर हमले के बाद ललित ने आपसे संपर्क किया था? आप लोगों के बीच आखिरी बार कब बात हुई?
जवाब: ललित ने आज (बुधवार) मुझे फोन नहीं किया. लेकिन उसने मुझे संसद में सड़क के बाहर स्मोक टॉर्चर का उपयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों का वीडियो व्हाट्सएप किया था. उसने मुझे लगभग 1-2 बजे के बीच वीडियो भेजा. मैं कॉलेज में था इसलिए जब मैंने बाद में अपना फोन चेक किया तो मैंने जवाब देते हुए उससे पूछा कि यह विरोध क्यों किया गया है?
सवाल : क्या आपके और ललित के बीच पिछले दिनों हुई किसी बातचीत से यह पता चलता है कि वह 13 नवंबर को कुछ प्लान कर रहे थे?
जवाब: उन्होंने आज के संसद विरोध के बारे में सीधे तौर पर कभी बात नहीं की. लेकिन हमारे संगठन की पंजीकरण प्रक्रिया चल रही थी और हमने दिसंबर में एक बैठक की योजना बनाई थी. उसने सिर्फ एक बार कहा था कि जो भी बैठक हो वह 12 दिसंबर से पहले होनी चाहिए.
सवाल: क्या आपको कभी ललित की गतिविधियों पर संदेह हुआ?
जवाब: ललित ने कभी भी अपने ठिकाने, पते, वह कहां रहता है और उम्र के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की. यही कारण है कि हमने भी उसे कोई सदस्यता कार्ड जारी नहीं किया. क्योंकि उसने अपने बारे में कोई जानकारी ही नहीं दी थी. उसके पास WhatsApp के दो नंबर थे. कभी एक को इस्तेमाल करता था तो कभी दूसरे को. एक साथ दोनों को इस्तेमाल नहीं करता था.
सवाल: उसने कहा बताया कि वह कहां से है?
जवाब: उसने हमेशा कहा कि वह पश्चिम बंगाल के कोलकाता से है.
सवाल: क्या ललित ने कभी बताया कि उसका कोई राजनीतिक संबंध है?
जवाब: उसने इस बारे में पूछा था कि क्या हम कभी एनजीओ को एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करेंगे? इसके अलावा मुझे उसके किसी भी राजनीतिक लिंक की कोई जानकारी नहीं है.
सवाल: क्या आपके सामने ललित से नीलम, मनोरंजन या सागर का कभी जिक्र किया? क्या आप उनमें से किसी के बारे में जानते हैं?
जवाब: उसने कभी भी अपनी ओर से किसी भी प्रकार की जानकारी या किसी के बारे में मुझे नहीं बताया. न ही मैं उसके किसी भी जानने वाले से मिला हूं. उसने न ही अपनी तरफ से एनजीओ में किसी मेंबर को शामिल किया.
सवाल: आप आखिरी बार ललित से कब मिले थे?
जवाब: जुलाई में एल्गिन में हमारे एनजीओ का कार्यक्रम था. वो उस दौरान आया था.
सवाल: उसने अपने आपको स्टूडेंट बताया था? या अपनी पढ़ाई या नौकरी से संबंधित कोई दस्तावेज आपको दिखाए थे?
जवाब: मुझे उसकी उम्र का भी नहीं पता था. बस लगता था कि शायद वह 25 से 35 साल की उम्र का होगा. न उसने ये बताया कि वो स्टूडेंट है या नौकरी करता है. हम बंगाली हैं और उसने भी बताया था कि वो कोलकाता का है. लेकिन उसने हमेशा मुझसे हिंदी में ही बात की. कभी किसी और भाषा में बात नहीं की.
संसद हमले के कुल 6 आरोपी
बता दें, पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इस साजिश में कुल 6 लोग शामिल थे. 2 लोगों ने अंदर हंगामा किया, तो 2 ने बाहर विरोध प्रदर्शन किया. 2 लोग इस मामले में फरार हैं. पुलिस और जांच एजेंसियां फरार हुए दोनों आरोपियों की तलाश कर रही हैं. जानकारी के मुताबिक, पांच आरोपी गुरुग्राम में एक जगह रुक थे. वहां ललित झा नामक ने उनके रुकने की व्यवस्था कराई थी. इन पांचों की पहचान हो चुकी है, लेकिन छठा आदमी कौन है, उसकी पहचान नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है कि सभी आरोपी सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे. इसके बाद पूरी साजिश रची गई. इसके बाद तय दिन पर संसद में दर्शक बनकर दो लोग घुस गए. उनकी योजना प्रतीकात्मक विरोध की थी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल संसद की सुरक्षा व्यवस्था का है. इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद चारों आरोपी अपने मकसद में कामयाब हो गए.