कोलकाता के आरजी कर मेडिकल हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में मृतक की तस्वीर, नाम और पहचान सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से हटाने की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि मृत डॉक्टर की तस्वीर और उसके परिवार की पहचान उजागर करने से परिवार की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है. याचिका में सोशल मीडिया के लगभग सभी बड़े प्लेटफॉर्म्स को पक्षकार बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट में 20 अगस्त को इस अर्जी पर सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी किन्नरी घोष और तुषार रॉय ने अपने वकील ऋषि कुमार सिंह गौतम के जरिए दाखिल की है. इसमें भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय, फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल, यूट्यूब, X (पूर्व में ट्विटर) और msn.com को भी पक्षकार बनाया गया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.
यह भी पढ़ें: कोलकाता कांड में तेज हुई CBI जांच, 'डॉक्टर बिटिया' के पिता ने वारदात पर क्या खुलासे किए?
इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पीड़िता के परिचितों और मीडिया से अपील की थी कि वे उसकी तस्वीरें और अन्य पहचान विवरण प्रसारित करने से बचें. एक जनहित याचिका का कलकत्ता हाई कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि पीड़िता की पहचान सोशल मीडिया सहित किसी भी मीडिया में उजागर न हो. वकील की अपली पर संज्ञान लेते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा, 'चूंकि कानून ऐसे पीड़ित की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगाता है, इसलिए हम जो पीड़ित को जानते हैं उन लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे पीड़िता की तस्वीरें और साथ ही उसका नाम और अन्य पहचान से जुड़े विवरण प्रसारित न करें.'
यह भी पढ़ें: कोलकाता केस को लेकर KGMU की महिला डॉक्टर्स में गुस्सा, मनाया ब्लैक राखी डे, देखें
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आगे कहा था, 'हम प्रिंट और प्रेस मीडिया के सदस्यों से भी यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करेंगे कि प्रकाशित होने वाली किसी भी रिपोर्ट में ऐसे पीड़ित की पहचान या पीड़ित की तस्वीरें प्रकाशित न की जाएं.' पिछली सुनवाई में, याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील फिरोज एडुल्जी ने अदालत में कहा था कि पीड़िता की सुरथल (कानूनी जांच) रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है और इस प्रकार उसका नाम सार्वजनिक कर दिया गया है. वकील ने इस मामले में अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी ताकि कम से कम सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से पीड़िता का नाम और तस्वीरें हटाई जा सकें.