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Exclusive: उंगलियों के निशान, अलग-अलग बयान... क्यों आरजी कर के चार कर्मियों का पॉलिग्राफ टेस्ट चाहती है CBI

सीबीआई का उद्देश्य इन कर्मचारियों के बयानों को सत्यापित करना है. सीबीआई यह जानना चाहती है कि क्या इन चारों ने किसी भी प्रकार से सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी या वे किसी षड्यंत्र का हिस्सा थे. अर्का और सौमित्र दोनों ही प्रथम वर्ष के पीजीटी डॉक्टर हैं, जिनकी उंगलियों के निशान सेमिनार रूम में पाए गए थे. इसके अलावा एक इंटर्न और एक हाउस स्टाफ भी इस लिस्ट में है.

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कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर देशभर में आक्रोश है (फाइल फोटो)
कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर देशभर में आक्रोश है (फाइल फोटो)

कोलकाता रेप-मर्डर कांड में सीबीआई जांच कर रही है और इस जांच का अहम हिस्सा पॉलीग्राफ टेस्ट बनने वाला है. सीबीआई को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष के पॉलीग्राफ टेस्ट की मंजूरी मिल गई है. इसके अलावा गुरुवार को सीबीआई संदीप घोष के अलावा 4 अन्य ट्रेनी डॉक्टर्स को लेकर कोर्ट पहुंची थी जिन्होंने मृतका के साथ आखिरी बार डिनर किया था. मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी अनुमति मांगी गई है. सीबीआई आरजी कर अस्पताल के चार अन्य कर्मियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाह रही है. 

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जानकारी के मुताबिक, सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज के चार कर्मचारियों, दो प्रथम वर्ष के पीजीटी डॉक्टर (अर्का और सौमित्र), एक हाउस स्टाफ (गोलाम), और एक इंटर्न (सुभदीप) का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने की योजना बना रही है. ये चारों कौन हैं और इन कर्मचारियों पर शक की वजह क्या है, इस पर डालते हैं एक नजर-

अर्का और सौमित्र: ये दोनों प्रथम वर्ष के पीजीटी डॉक्टर हैं, जिनकी उंगलियों के निशान सेमिनार रूम में पाए गए थे.

गोलाम: इस हाउस स्टाफ को सीसीटीवी फुटेज में पहली मंजिल के इमरजेंसी ड्यूटी पॉइंट से तीसरी मंजिल की ओर जाते हुए देखा गया था.

सुभदीप: वह इंटर्न था जो तीसरी मंजिल पर मौजूद था और मृतक के साथ आखिरी बार बातचीत करने वालों में से एक था.

सीबीआई क्यों कराना चाहती है पॉलीग्राफ टेस्ट
सीबीआई का उद्देश्य इन कर्मचारियों के बयानों को सत्यापित करना है, क्योंकि अन्य मेडिकल रिपोर्ट (जैसे पीड़िता के शरीर से लिए गए डीएनए, वेजाइनल स्वैब, पीएम ब्लड) उन्हें स्पष्ट रूप से घटना से जोड़ने में विफल रही हैं. सीबीआई यह जानना चाहती है कि क्या इन चारों ने किसी भी प्रकार से सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी या वे किसी षड्यंत्र का हिस्सा थे.

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9 अगस्त की उस रात को क्या हुआ था? 

उस रात मृतक और बाकी चारों कर्मचारी 36 घंटे की ड्यूटी पर थे. मृतक और दो प्रथम वर्ष के छात्र (अर्का और सौमित्र) ने रात 12 बजे के आसपास एक साथ भोजन किया. इसके बाद तीनों सेमिनार रूम में गए, जहां वे 1:30-2:00 बजे तक मौजूद थे और उन्होंने नीरज चोपड़ा का ओलंपिक भाला फाइनल भी देखा.

ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आमतौर पर आराम के लिए स्लीप रूम का उपयोग करते हैं, जो सेमिनार रूम के ठीक सामने स्थित है. उस रात स्लीप रूम में एक पोलिसोमनोग्राफी टेस्ट चल रहा था, जो 1:30-2:00 बजे के बीच समाप्त हुआ.

जब स्लीप रूम खाली हो गया, तो अर्का और सौमित्र वहां चले गए. क्योंकि मरीजों की देखभाल के लिए नर्स या अस्पताल के कर्मचारी डॉक्टरों को स्लीप रूम में बुलाते हैं.

मृतक उन सभी में सबसे वरिष्ठ थी और ड्यूटी के दौरान आपात स्थिति में जूनियर डॉक्टरों को मरीजों की देखभाल करने के लिए कहा जाता है. जब भी कोई आपात स्थिति आती है, तो वरिष्ठ को सूचित किया जाता है.

अर्का और सौमित्र के अनुसार, मृतक ने सेमिनार रूम में आराम करने का फैसला लिया जबकि बाकी डॉक्टर स्लीप रूम में चले गए. उनके अनुसार, रात 2:00 बजे से लेकर सुबह तक उन्होंने मृतक को परेशान नहीं किया क्योंकि कोई आपात स्थिति नहीं आई.

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गोलाम रात में इमरजेंसी ड्यूटी पर था, जो उसी इमारत की पहली मंजिल पर स्थित है. लगभग 2:45 बजे वह तीसरी मंजिल पर गया, और उसकी गतिविधियां सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुईं. गोलाम के अनुसार, वह तीसरी मंजिल पर गया, टेस्ट समाप्त किया और 3:30-3:45 के बीच इमरजेंसी में लौट आया.

सुभदीप, जो कि इंटर्न है, उसी मंजिल पर एक अलग कमरे में था, जिसमें एसी नहीं था. सेमिनार हॉल (अपराध स्थल), स्लीप रूम और इंटर्न रूम तीसरी मंजिल पर एक ही स्थान पर स्थित हैं और एक-दूसरे के पास हैं.

अर्का, सौमित्र और गोलाम के बयान के अनुसार, सेमिनार रूम साउंडप्रूफ है, इसलिए वे कोई भी आवाज नहीं सुन पाए.
सुबह लगभग 9:15 बजे जब उनके प्रोफेसर वार्ड राउंड के लिए आए और मृतक की खोज की, तब सौमित्र सेमिनार रूम में गया और उसे मृत अवस्था में पाया. इसके बाद उसने अपने सहयोगियों और वरिष्ठों को सूचित किया, जिन्होंने अस्पताल प्रशासन और पुलिस को सूचना दी.

सीबीआई ने पाया है कि सभी चारों के बयानों में कुछ असमानताएं हैं, विशेष रूप से इस बात को लेकर कि सौमित्र ही मृतक को बुलाने क्यों गया, अन्य कोई क्यों नहीं गया. इसलिए सीबीआई पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा ले रही है ताकि सभी संभावनाओं को स्पष्ट किया जा सके.

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