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अक्टूबर-2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए रेप केस को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तब कोलकाता में मार्च किया था. हाथरस में रेप पीड़िता के घर ममता ने अपनी पार्टी के सांसदों की टीम भेजी थी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या हाथरस केस पर चिंता जताती ममता बनर्जी की सरकार, पुलिस या प्रशासन कोलकाता रेप केस को दबाने में जुटा रहा? ये सवाल इसलिए क्योंकि ममता बनर्जी की पार्टी के ही सांसद सुखेंदु शेखर राय अब ममता राज की पुलिस-प्रशासन की न्याय दिलाने वाली सोच पर सवाल उठा रहे हैं. टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर राय पूछ रहे हैं कि क्या हम जंगल में रहने लगे हैं?
वहीं, ममता बनर्जी चाहती हैं कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में गुरुवार की देर रात महिला डॉक्टर से बर्बरता की सारी हदें तोड़कर रेप करके मार देने वाले को फांसी की सजा दी जाए. लेकिन न्याय का भरोसा बंगाल पुलिस पर नहीं रहा तो हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी.
घटना को लेकर उठ रहे ये सवाल
ऐसे में सवाल ये है कि कोलकाता पुलिस ने जिस आरोपी संजय रॉय को पकड़ा, क्या उसी ने अकेले इतने वीभत्स कांड को अंजाम दिया? क्या संजय रॉय के अलावा और भी गुनहगार हैं, जिन्हें पकड़ा ही नहीं गया है? क्या कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप नहीं, बल्कि गैंगरेप किया गया था? क्या कोलकाता रेप-हत्या केस की शुरुआती जांच में पुलिस ने इतनी हीलाहवाली कर दी है कि अब सीबीआई को आगे परेशानी होगी? क्या पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले 5 दिन में ही केस के सबूतों से छेड़छाड़ कर दी है? क्या और भी गुनहगारों को बचाने के लिए पश्चिम बंगाल में सबूतों से खिलवाड़ हुआ है?
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में सामने आई ये बातें
बता दें कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में महिला डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट पर गहरा घाव मिला था. गला घोंटने से थायराइड कॉर्टिलेज टूट गया. इतना तेजी से हमला कि चश्मे के शीशे के टुकड़े आंख में धंस गए. चेहरे पर आरोपी के नाखून के निशान मिले. सिर को दीवार पर पटका गया, ताकि चिल्ला ना सके. मतलब जिस निर्दयता से डॉक्टर बेटी को मारा गया, दावा किया जा रहा है कि आरोपी केवल एक नहीं, बल्कि कुछ और लोग भी हो सकते हैं. दावा है कि महिला डॉक्टर से रेप नहीं, बल्कि गैंगरेप हुआ है. इस दावे की वजह हैं डॉक्टर सुवर्ण गोस्वामी, जो ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट डॉक्टर्स एसोसिएशंस की एडिशनल जनरल सेक्रेटरी हैं. दावा है कि उन्होंने पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी और पढ़ी है.
डॉक्टर सुवर्ण गोस्वामी का दावा
डॉक्टर सुवर्ण गोस्वामी का दावा है कि महिला डॉक्टर के शरीर पर जिस तरह से चोट के निशान हैं, उसके आधार पर भी दावा है कि ये केवल एक शख्स का काम नहीं. तो क्या इसी सेमिनार हॉल में संजय रॉय के अलावा कोई या फिर कुछ और लोग थे, जिन्हें बचाने की कोशिश हुई है? क्योंकि दावा है कि अगर डॉक्टर्स ने प्रदर्शन ना शुरू किया होता तो आरजी कर मे़डिकल कॉलेज के प्रिंसिपिल रहे संदीप घोष, मेडिकल कॉलेज प्रशासन और कोलकाता पुलिस मामले को दबाने में जुटे थे.
क्या संदीप घोष के पास कोई राज तो नहीं?
तो क्या सवालों के घेरे में मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष हैं? जिन्हें उनके पद से पहले हटाया नहीं गया, फिर इस्तीफा देने पर तुरंत नई नियुक्ति भी ममता सरकार ने दे दी थी. लेकिन डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बाद नई नियुक्ति तो रोक दी, तब ये प्रश्न उठा कि संदीप घोष पर इतनी मेहरबानी क्यों? क्या संदीप घोष इस मामले में वो कड़ी है, जिसका लिंक कहीं और है? क्या संदीप घोष के पास कोई राज तो नहीं? बता दें कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के मन में ये सवाल बैठ गया है कि सीबीआई को जांच सौंपने के तुरंत बाद अस्पताल में उसी सेमिनार हॉल के पास निर्माण काम क्यों शुरू कराया गया, क्या इसलिए ताकि सेमिनार रूम में हुए रेप-कत्ल से जुड़े सबूत मिटवाए जा सकें.
17 अगस्त को मौलाली से धर्मतला तक रैली करेंगी ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान किया है. उन्होंने सीबीआई से अगले रविवार तक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कहा है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह 17 अगस्त को कोलकाता में मौलाली से धर्मतला तक एक रैली करेंगी. ममता ने कहा कि मैं चाहती हूं कि आरोपियों को फांसी दी जाए. मुझे उम्मीद है कि सीबीआई अगले रविवार तक न्याय देगी. बता दें कि 12 अगस्त को ममता बनर्जी ने पुलिस को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर पुलिस 18 अगस्त यानी रविवार तक मामले को सुलझाने में असमर्थ रही तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा. हालांकि पीड़िता के माता-पिता द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग के बाद मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.