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आरजी कर अस्पताल में लगी 'पीड़िता' की प्रतिमा, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

टीएमसी नेता कुणाल घोष ने भी डॉक्टरों की आलोचना करते हुए कहा कि यह पीड़िता के नाम और पहचान को उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के खिलाफ है. उन्होंने ट्वीट किया, 'कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता. कला के नाम पर भी नहीं.'

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आरजी कर अस्पताल में लगी 'पीड़िता' की प्रतिमा.
आरजी कर अस्पताल में लगी 'पीड़िता' की प्रतिमा.

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हैवानियत का शिकार हुई ट्रेनी डॉक्टर की एक प्रतिमा लगाने पर अब विवाद खड़ा हो गया है. इस प्रतिमा का नाम 'क्राई ऑफ द आवर' है. कलाकार आसित साइन के अनुसार, यह प्रतिमा पीड़िता के अंतिम क्षणों के दुख और आतंक को दर्शाती है. इस प्रतिमा में एक महिला को रोते हुए दर्शाया गया है. इसे आरजी कर के प्रिंसिपल के कार्यालय के पास रखा गया है. लेकिन इस प्रतिमा को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है. 

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ट्रेनी डॉक्टर की प्रतिमा की स्थापना पर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे 'असंवेदनशील' करार दिया है. एक यूजर ने ट्वीट किया, 'अगर आपको पीड़िता की प्रतिमा स्थापित करनी है तो इसे उसके दुख भरे चेहरे या किसी और चीज के बिना करें. यह बेहद विचलित करने वाला है.' एक यूजर ने लिखा, 'यह कितनी असंवेदनशीलता है. किसी के दर्द को अमर बनाना. मैं उम्मीद करता हूं कि यह घिनौनी प्रतिमा नष्ट की जाए.

यह भी पढ़ें: कोलकाता कांड में नया खुलासा- पिता के कहने पर आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुआ पीड़िता का पोस्टमार्टम!

टीएमसी नेता ने भी उठाए सवाल

टीएमसी नेता कुणाल घोष ने भी डॉक्टरों की आलोचना करते हुए कहा कि यह पीड़िता के नाम और पहचान को उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के खिलाफ है. उन्होंने ट्वीट किया, 'कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता. कला के नाम पर भी नहीं.'

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हालांकि, आरजी कर अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, 'हमने कोई नियम नहीं तोड़ा है या अदालत के आदेश की अनदेखी नहीं की है. यह एक प्रतीकात्मक sculpture है. हम अधिकारियों को दिखाना चाहते हैं कि क्या हुआ और उसने कितना दर्द झेला. हम न्याय के लिए लड़ते रहेंगे.'

बता दें कि जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार से काम बंद कर दिया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया है कि ममता सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया है. कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक लेडी डॉक्टर के साथ दरिंदगी की घटना हुई थी. इसके बाद कई दिनों तक देशभर में प्रदर्शन हुए थे.डॉक्टरों ने कामकाज ठप कर दिया था. बाद में सु्प्रीम कोर्ट के निर्देश और ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद डॉक्टर्स ने काम शुरू किया था. 

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