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क्या अयोध्या विवाद की तरह ही होगी कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले की सुनवाई? इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगी तय

अयोध्या विवाद के सुलझ जाने के बाद मथुरा और काशी के मामले जोर पकड़ने लगे हैं. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इससे सटी ईदगाह को लेकर सुनवाई किस तरह होगी ये भी पेचीदा विषय है. क्या इसकी सुनवाई अयोध्या मामले की ही तरह ही होगी. इसे अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ही तय करेगी.

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा (फाइल फोटो)
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा (फाइल फोटो)

मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट तय करेगा कि क्या इस मामले की सुनवाई भी अयोध्या विवाद की तरह ही सीधे हाईकोर्ट ही करेगा.
इस मामले में याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री सहित पांच याचिकाकर्ताओं की ओर से हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने दलील दी है. उन्होंने कहा कि चूंकि राष्ट्रीय महत्व का ये मामला बेहद संवेदनशील और दो समुदायों से जुड़ा है, ऐसे में हाईकोर्ट सीधे ही इस मामले की सुनवाई करे. इस मामले में आठ दिन सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा (प्रथम) की एकल पीठ ने इस ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया.

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इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में  ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ और ‘शाही ईदगाह मस्जिद’ विवाद के मामले में शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर हस्तक्षेप न करते हुए, सिविल कोर्ट मथुरा को विचाराधीन वाद तय करने का निर्देश दिया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था बड़ा फैसला
इससे पहले, हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद और शाही ईदगाह विवाद को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने मथुरा जिला जज को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर सिविल वाद को तय करने का निर्देश दिया था. इसी के साथ कोर्ट ने पोषणीयता के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य की याचिका भी खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि पोषणीयता के मामले में पहले ही फैसला आ चुका है, ऐसे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. 

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कोर्ट में की गई थी ये मांग
जस्टिस प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मथुरा की सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई. वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह इसमें पक्षकार नहीं था.

ये है मूल विवाद
काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई. मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.

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