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कुकी उग्रवादियों के पास कहां से आ रहे ड्रोन-RPG? मणिपुर हिंसा पर सुरक्षा एजेंसियों की चिंता

बीते दिनों मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच ड्रोन और आरपीजी के इस्तेमाल ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. इस पूरे मामले को लेकर डीजीपी ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठित की है, जो 13 सितंबर तक इन घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट देगी. कमेटी पता लगाएगी कि कुकी समुदाय के पास इतनी भारी मात्रा में हथियार कहां से आ रहे हैं. 

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मणिपुर में सुरक्षाबलों ने जब्त किए हथियार.
मणिपुर में सुरक्षाबलों ने जब्त किए हथियार.

देश का उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर पिछले एक साल से सुलग रहा है. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा को एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद भी हिंसा पर लगाम नहीं लग रही है. साथ ही शांति बहाली के दावे में धराशाई हो रहे हैं.  

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बीते दिनों से मणिपुर में हालात और चिंता जनक होते जा रहे हैं, क्योंकि हिंसा के बीच आरपीजी और ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है. रविवार और सोमवार को लगातार पहाड़ी जिले कांगपोकपी से लगते हुए पश्चिमी इंफाल की घाटी में गांव पर ड्रोन से बमबारी की गई. इस घटना में अब तक दो लोगों की मौत हुई है, जबकि दोनों वारदातों में घायलों की संख्या 10 से ज्यादा है. एक सितंबर को पश्चिमी इंफाल के कोत्रूक गांव में दोपहर में पहाड़ी इलाकों से हमला हुआ. पुलिस और इंटेलिजेंस सूत्रों के हाथ लगे वीडियो में जमीन के परपेंडिकुलर बम गिरते दिखाई दिए. हिंसा में ड्रोन हमले से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है.

ग्रामीणों के मुताबिक, उन्होंने आसमान में ड्रोन की आवाज सुनी थी. मणिपुर पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि इस गांव में हुए हमले में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही आरजी जैसे सोफिस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल भी कुकी आतंकी कर रहे हैं.

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इसी तरह 2 सितंबर को भी पश्चिमी इंफाल में पहाड़ों से सटे इलाके के गांव सिंजम चिराग में बमबारी की गई और यहां पर भी आरपीजी और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. इस बमबारी में तीन ग्रामीण घायल हो गए.जिन दो गांवों पर हमला किया गया है, वह मैतेई बहुल आबादी वाले गांव हैं. 

घटने के बाद मणिपुर पुलिस ने औपचारिक बयान में कहा कि इम्फाल पश्चिम के कोटरुक में एक अभूतपूर्व हमले में कथित कुकी आतंकियों ने हाई तकनीक वाले ड्रोन का इस्तेमाल करके कई आरपीजी तैनात किए हैं. जबकि ड्रोन बमों का इस्तेमाल आम तौर पर सामान्य युद्धों में किया जाता रहा है. सुरक्षाबलों और नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक तैनात करने के लिए ड्रोन की यह हालिया तैनाती एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दिखाती है. संभवतः तकनीकी विशेषज्ञता और सहायता के साथ हाई प्रशिक्षित पेशेवरों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है. अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और पुलिस किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है." 

कुकी संगठनों ने जताई नाराजगी

पुलिस के इस बयान पर कुकी संगठनों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. कुकी समुदाय का एक वीडियो भी सामने आया है,जिसमें वह चेतावनी दी गई है कि पहाड़ी इलाकों में जो भी हथियारबंद संगठनों के लोग घूम रहे हैं, वह तीन दिन में वापस चले जाएं.
 
पुलिस के मुताबिक, इस हिंसा के पीछे कुकी आतंकी हैं जो पहाड़ी इलाकों से छुपाकर ड्रोन आरपीजी और दूसरे सोफिस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आप सिर्फ कुकी संगठनों पर नहीं है बल्कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी आदिवासी और उनके संगठनों का आरोप है कि मणिपुर पुलिस घाटी में रहने वाले मैतेई हथियारबंध संगठन आरंबाई टैंगोल के साथ मिलकर पहाड़ी इलाकों पर हमले कर रही है.

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पहाड़ों में रहने वाले कुकी समाज और उनके संगठनों का आरोप है कि घाटी में बसे हथियारबंद में तेरी संगठन लगातार उन्हें निशाना बना रहे हैं और इसमें उन्हें मणिपुर स्टेट कमांडो पुलिस पूरी मदद कर रही है. कुकी संगठन इंफाल से लेकर दिल्ली तक लगातार ये आरोप लगा रहे हैं कि उनके समाज के खिलाफ हो रही हिंसा में शामिल लोगों को राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन‌ सिंह का समर्थन मिल रहा है. 

DGP ने बनाई जांच कमेटी

पिछले दो दिनों में आरपीजी और ड्रोन का इस्तेमाल होने के बाद राज्य के डीजीपी ने पांच सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया है जो 13 सितंबर तक इन घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट देगी. कमेटी पता लगाएगी कि आखिर कैसे कथित कुकी आतंकियों के पास आरपीजी और ड्रोन जैसे सोफिस्टिकेटेड हथियार और टेक्नोलॉजी पहुंची. इस कमेटी से कहा गया है कि वह जांच में विशेषज्ञों की मदद भी ले सकते हैं. 

सर्च ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार जब्त

सुरक्षाबलों ने पिछले दो दिनों से मणिपुर द्वारा सर्च ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार जब्त किए गए हैं. इन हथियारों के मणिपुर में मिलने से कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं. सुरक्षाबलों ने 2 सितंबर को सर्च अभियान में 12 इंच सिंगल बोर राइफल, एक इंप्रोवाइज्ड मोर्टार, 9 इंप्रोवाइज्ड मोर्टार बैरल, 20 जिलेटिन की छड़ी, 30 डेटोनेटर, 10 मीटर फ्यूज, दो कंट्री मेड रॉकेट, पांच रेडियो सेट कांगपोकपी जिले के कांगचुप इलाके से जब्त किए हैं. इसी तरह जिले के खरम इलाके में सुरक्षाबलों ने एक ड्रोन जब्त किया है. सुरक्षा बलों को अंदेशा है कि इस ड्रोन का ही इस्तेमाल बमबारी के लिए किया जा रहा था.

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वहीं, पुलिस बल ने 2 सितंबर को ही कास्टिंग जिले में सर्च ऑपरेशन के दौरान एसएलआर राइफल, राइफल की मैगजीन और जिंदा कारतूस भी जब्त किए और एक सितंबर को पश्चिमी इंफाल जिले से सर्च ऑपरेशन के दौरान एक 303 राइफल, एक 9 मीमी सब मशीन गन, 10 मोर्टार बम पैरा, डेटोनेटर, तीन हैंड ग्रेनेड, कारतूसों से भरा डिब्बा जब्त किया गया था. 

इसी तरह विष्णुपुर जिले के गेलमल गांव से सर्च ऑपरेशन के दौरान एक एके-47 बंदूक, एक सीएमजी कार्बाइन, एक स्नाइपर राइफल, रिवाल्वर, दो ट्यूब लॉन्चिंग, तीन हैंड ग्रेनेड, एक इंसास एलएमजी राइफल, दो डेटोनेटर आंसू गैस के गले और कारतूसों का डिब्बा बरामद किया गया. आरपीजी, रॉकेट लांचर, एके-47, इंसास एसएलआर वह हथियार नहीं है जो आम तौर पर साधारण अपराधियों को मुहैया होते हैं, बल्कि इस तरह के घातक हथियार सुरक्षा बल इस्तेमाल करते हैं. इस तरह के हथियार पहाड़ों में रहने वाले कुकी बहुल इलाकों से भी जब्त किए गए हैं तो घाटी में मैतेई बहुल इलाकों से भी इन्हें जब्त किया गया है.

कुकी-मैतेई वॉर में ड्रोन के इस्तेमाल के क्या हैं मायने?

मणिपुर पुलिस के मुताबिक, ड्रोन का इस्तेमाल आधुनिक वॉरफेयर में होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल सिविलियन के खिलाफ करना एक नए आक्रामकता को जन्म दे रहा है. साल 2023 के जुलाई और अगस्त महीने में आक्रामक हिंसा के दौरान एक दूसरे के इलाकों में रॉकेट से हमला करने के लिए पंपी गन का इस्तेमाल किया जाता था जो कि एक तरह का रॉकेट लांचर था, जिसे घरेलू पाइप के जरिए बनाया गया था और इसका इस्तेमाल करके एक-दूसरे के इलाकों में दूरी तक बम फेंकने के लिए किया जाता था.

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मणिपुर के निवासी और कारगिल युद्ध मैं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल कोशय हिमालय कहते हैं, "मणिपुर में संघर्ष सिर्फ जातीय संघर्ष नहीं है... यह संघर्ष मैतेई-कुकी जातीय संघर्ष से कहीं आगे निकल गया है. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के आयाम हैं. पिछले 48 सालों में ड्रोन हमले हमारे देश के आंतरिक सुरक्षा तंत्र के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय होना चाहिए."

कहां से मिली ड्रोन हमले के टेक्नोलॉजी?
 
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हिमालय कहते हैं, "इन उग्रवादियों के पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के साथ बहुत करीबी और संबंध हैं जो पड़ोसी देश म्यांमार की सैन्य के खिलाफ हैं. पीडीएफ म्यांमार सेना के खिलाफ हमलों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है. पूरी संभावना है कि चीन में बने ऐसे ड्रोन म्यांमार के रास्ते इन उग्रवादियों के पास पहुंच रहे हों, लेकिन जिस तरह से इन ड्रोन को लोकल हथियारों के साथ वेपन नीचे किया जा रहा है. ऐसे में पूरी संभावना है कि विदेशी शक्तियों भी इसमें शामिल हों."

ड्रोन हमले का मणिपुर क्या असर होगा?

कोषम हिमालय कहते हैं, "सोफिस्टिकेटेड हथियार और द्रोण का इस्तेमाल करके बोम्बिंग पूरे मणिपुर के लिए खतरा है और एक नए आतंकी हमले व्यायाम को खोलना है. जिसको लेकर के सुरक्षा एजेंसी को चौकस होना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ मणिपुर नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है. जिस तरह नई तकनीक और नए तरीकों से आतंकी हम लोग को अंजाम दिया जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियों को नई रणनीति के तहत अब इन सुरक्षा चुनौतियों को हैंडल करना होगा. " 

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कुकी समाज का आरोप है कि मैतेई हथियारबंद संगठनों ने घाटी में कई पुलिस थानों में लूट की और रिजर्व बटालियन के मिनेश डिपो में लूटपाट करके हथियार लूट लिए. इन हथियारों की शक्ति के लिए सुरक्षा बलों ने कई अभियान चलाया और बड़ी मात्रा में इन्हें जब्त भी किया. वह भारत के पड़ोसी देश म्यांमार से सोफिस्टिकेटेड हथियार हासिल कर रहे हैं.

कोऑर्डिनेशन कमेटी का मैत्री संगठनों ने कहा है कि कुकी आतंकियों को म्यांमार से ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं. ये आरोप खुद राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी लगा चुके हैं कि म्यांमार से आने वाले कुकी आतंकी संगठनों के चलते भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा है.

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