नवरात्रि के पवित्र दिनों में नौ दिनों तक माता रानी की उपासना की जाती है और इन दौरान मां को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन व्रत और पूजा अनुष्ठान करते हैं, लेकिन देश के एक प्रसिद्ध मंदिर की करीब 1,600 साल से चली आ रही परंपरा कोरोना महामारी की वजह से इस बार टूटने वाली है.
कच्छ का विश्व प्रसिद्ध आशापुरा माता मंदिर इस साल पहली दफा भक्तजनों के लिए बंद रहेगा. हर साल नवरात्रि में देश के अलग-अलग हिस्सों से भक्तजन हजारों किलोमीटर का सफर तय कर अपनी मनोकामना पूरी करने यहां आते हैं.
एक तरफ कच्छ में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ अगले महीने नवरात्रि का त्योहार आने वाला है. ऐसा माना जाता है, कि नवरात्रि के दौरान लगभग 10 लाख भक्तजन यहां एकत्र होते हैं.
वर्तमान में इस मंदिर के ट्रस्टियों ने बैठक कर कोरोना के संक्रमण के कारण मंदिर को भक्तों के लिए नवरात्रि में बंद रखने का फैसला किया है. इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की गई है कि 13 से 25 अक्टूबर तक भक्तजनों के लिए मंदिर के द्वार बंद रहेंगे.
मंदिर ट्रस्ट ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया है. इससे पहले हर साल नवरात्रि में लाखों भक्तजन की भीड़ यहां रहती थी. कच्छ में आशापुरा माताजी धाम लाखों भक्तों के लिए प्रमुख आस्था और श्रद्धा का स्थल है. आशापुरा देवी मां को अन्नपूर्णा देवी का अवतार माना जाता है. आशापुरा देवी मां के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है.
ऐसी मान्यता है कि मां आशापुरा देवी से जो भी मुराद मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है. गुजरात में कई अन्य समुदाय भी आशापुरा देवी को अपनी कुलदेवी के तौर पर पूजते भी हैं.