
LAC के नज़दीक सैकड़ो की संख्या में गांव हैं जहां कोई नहीं रहता है. इन गांवों को जीवंत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक मेगा प्लान तैयार किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन सीमा के नज़दीक ऐसे 500 से 600 गांव हैं जहां कोई नही रहता है. इन गांवो में साल में सिर्फ एक बार अपने कुल देवता की पूजा करने के लिए यहाँ के ग्रामवासी जाते हैं. पर अब ये गांव जी उठेंगे. केंद्र सरकार इन गांवों को वाईब्रेंट विलेज बनाने के लिए कई राउंड की बैठक कर चुकी है. साथ ही इस साल के बजट में भी इन गांव को वाईब्रेंट विलेज बनाने के लिए भारी भरकम बजट की घोषणा भी की जा चुकी है.
गांवों में सारी सुविधाएं जो शहर के घरों में रहती हैं
सूत्रों ने बताया है कि चीन सीमा से लगने वाले इन घोस्ट विलेज में वो सारी सुविधाएं होंगी जो शहर के घरों में रहती हैं, साथ ही यहां रहने वालों को यहीं आसपास नौकरियां दी जाएंगी, जिससे इनका पलायन न हो. जानकारी के मुताबिक चीन सीमा से लगने वाले करीब 100 गांवों को वाईब्रेंट विलेज बनाने का मेगा प्लान है. यही नही उत्तराखंड के बॉर्डर के नज़दीक 115 से ज्यादा विलेज को आधुनिक गांव बनाना है. उत्तराखंड में तो कुछ जगहों पर जैसे, जाडुंग, नेलांग और मलारी में वाईब्रेंट विलेज़ के प्रोजेक्ट के तहत शुरुआती रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है. सरकार के सूत्रों ने बताया है कि भारत चीन सीमा के नज़दीक हिमाचल के करीब 80 गांवो को वाईब्रेंट विलेज़ के तहत डेवेलप करना है. इसके साथ ही सिक्किम बॉर्डर के 50 तो अरुणाचल बॉर्डर से नज़दीक 80 से 120 गांव जो घोस्ट विलेज बन चुके थे उनको विकसित किया जाएगा.
क्या है वाईब्रेंट विलेज का सरकारी प्लान
समय समय पर ऐसी खुफिया रिपोर्ट और सेटेलाइट इमेज आती रहती हैं कि चीन ने बॉर्डर एरिया पर अपने इलाके में नए नए गांव बसाए हैं. और चीन इन गांवो का इस्तेमाल बॉर्डर पर निगरानी करने और लोगो पर नज़र रखने के लिए कर सकता है. सूत्रों ने बताया है कि चीन के इस प्लान को जवाब देने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने भी मेगा प्लान तैयार किया है और इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया है.
योजना का उद्देश्य उत्तरी भारत के सीमा पर बसे गांवों का विकास करना है. वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा था कि बेहद कम आबादी वाले बॉर्डर के गांव सीमित संपर्क और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से विकास से दूर रह जाते हैं.
उत्तरी सीमा पर बसे ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा. साफ है कि वित्त मंत्री का लद्धाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटे गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर इन क्षेत्रों से पलायन को रोकना है. सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन सरहद के नज़दीक बनाये जाने वाले इन गांवों के लोगों को गांव के नज़दीक एम्प्लॉयमेंट और वो तमाम सुविधाओं से लैस किया जाएगा जिससे रोजगार की तलाश में ये लोग बाहर न जाएं.
बॉर्डर के गांव के लोग स्ट्रैजिक एसेट्स
सीमा पर बसे हुए लोग और गांव देश के लिए स्ट्रैटिजिक एसेट्स हैं. तत्कालीन गृह मंत्री और अब के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई भाषणों में इस बात पर जोर देते रहे हैं. और उन गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते वहां से जो रहे पलायन को रोकने की कवायद भी लगातार करते रहे हैं. सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या इन इलाकों से लोगों का पलायन है. क्योंकि पलायन होने से न केवल गांव खाली हो जाते हैं, बल्कि सेना को भी कई चुनौती का सामना करना पड़ता है. इन इलाकों में आबादी का होना काफी अहम है. क्योंकि स्थानीय लोग न केवल सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि कई अहम जानकारियां भी सेना को मुहैया कराते हैं.
अपने बॉर्डर के गावों में डिफेंस स्ट्रक्चर क्यों बना रहा चीन
हाल ही में ऐसी कई रिपोर्ट्स आई है कि चीन बॉर्डर से सटे अपने गांवो में डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में जुटा है. यही नहीं चीन इन बॉर्डर के गांव मे रहने वाले निवासियों को अन-आर्म्ड लड़ाई के गुर भी सिखा रहा है. सूत्रों की माने तो भारत चीन सरहद के नजदीक चीन अपने 500 से 600 गांवों को बॉर्डर के नजदीक दोबारा बसा कर उनको मजबूत करने में लगा हुआ है. चीन सरहद के जिन 500 से 600 गांव को दुबारा से बसा रहा है उन गांवों में आधुनिक व्यवस्था तो दे ही रहा है साथ ही इस इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी डिफेंस पोस्ट, डिफेंस टॉवर भी मजबूत कर रहा है. यही नहीं चीन भारत की सरहद के नज़दीक मौजूद अपने इन सभी गांव को 2022 के अंत तक तिब्बत में मौजूद शहरों से हाईवे के जरिये जोड़ने का प्लान तैयार किया है.
स्ट्रैटिजिक पोजिशन को मजबूत करने पर जोर
सूत्रों के मुताबिक़ चीन इस तरीके से सरहद के नज़दीक अपने गांव मे स्ट्रैटिजिक पोजिशन को मजबूत करने के लिए डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलप कर रहा है साथ ही यहां पर अपनी डिफेंस और ह्यूमन इंटेलीजेंस को मजबूत करने के लिये इन गांवों का आधुनिकीकरण कर रहा है. सूत्रों की माने तो चीन का गांव बसाने के पीछे का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा 'सुरक्षा बैरियर' बनाना है जो अभेद्य किले की तरह हो. चीनी राष्ट्रपति के निर्देश पर चीन ने वर्ष 2017 से ही तिब्बत सीमा पर 500 से 600 अत्याधुनिक बॉर्डर डिफेंस विलेज बसाना शुरू कर दिया था. अक्टूबर 2019 में चीन ने सीमा पर गांवों के निर्माण को तेज करने का ऐलान किया था. जिसको कि इस साल के अंत तक पूरा करने की बड़ी योजना चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने बनाया है.