देश के उत्तरी पहाड़ों में अत्यधिक ठंड के मौसम से निपटने के लिए कई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं. डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने कहा कि सशस्त्र बल इन सभी प्रौद्योगिकियां का इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने इंडिया फाउंडेशन के जरिए आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहा कि सशस्त्र बलों के लिए हिमस्खलन की भविष्यवाणी करने तक तकनीकें विकसित की गई है. दरअसल, लद्दाख क्षेत्र में अत्यधिक ठंड का मौसम देखा जाता है और सर्दियों के दौरान तापमान हिमांक बिंदु से काफी नीचे चला जाता है.
क्या सशस्त्र बल सर्दियों से निपटने के लिए तैयार हैं क्योंकि सीमा पर तनाव के बीच लद्दाख में अधिक सैनिकों को ले जाया जा रहा है. इस सवाल पर रेड्डी ने कहा, 'उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में कई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं, चाहे वह कपड़े की आवश्यकता हो, जूते की आवश्यकता हो या हीटिंग तत्वों की आवश्यकता हो, भोजन को गर्म करने से संबंधित चीजें हों.'
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन ने कहा, 'हिमस्खलन और हिमपात की भविष्यवाणी सहित कई चीजें विकसित की गई हैं. देश में इन चीजों के लिए कई चीजें विकसित की गई हैं और इनका इस्तेमाल आज सशस्त्र बलों द्वारा किया जा रहा है.'
भारत-चीन के बीच तनाव
वहीं भारत और चीन के बीच पिछले काफी वक्त से सीमा पर तनाव बना हुआ है. हाल ही में चीन ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के कुछ भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया है. वहीं भारत ने अतिरिक्त बल और हथियारों को संवेदनशील क्षेत्र में पहुंचा दिया है.
इससे पहले इसी साल जून के महीने में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गालवान घाटी में झड़प देखने को मिली थी. इस हिंसक झड़प में कर्नल सहित भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. हालांकि चीन ने अभी तक कोई हताहत का आंकड़ा जारी नहीं किया है. झड़प के बाद से चीन के साथ उत्तरी सीमा पर तनाव बढ़ रहा है.