बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने चारा घोटाले में जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में CBI की याचिका का विरोध किया है. लालू यादव का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश को केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि सीबीआई असंतुष्ट है. लालू यादव ने SC में दलील दी है कि हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है.
दरअसल, लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े 5 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. हालांकि, वे सभी 5 मामलों में जमानत पर हैं. ऐसे में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चारा घोटाले में लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगा.
सीबीआई ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाले (दुमका, चाईबासा, डोरंडा, देवघर कोषागार) से संबंधित चार मामलों में लालू प्रसाद को जमानत देने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. सीबीआई चाहती है कि लालू यादव की जमानत रद्द हो. लालू यादव ने इस याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है. उन्होंने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
क्या है चारा घोटाला?
- जनवरी 1996 में चारा घोटाले का खुलासा हुआ था, तब बिहार सरकार के पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपये की हेराफेरी सामने आई थी. उस समय बिहार और झारखंड एक राज्य था और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे. ये पूरा घोटाला 950 करोड़ रुपये का बताया जाता है.
- मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी. जून 1997 में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दाखिल की. ये पहली बार था जब लालू प्रसाद यादव का नाम घोटाले में आरोपी के तौर पर चार्जशीट में लिखा गया था.
- चार्जशीट में नाम सामने आने के बाद लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) जुलाई 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री बनीं.
- 2000 में बिहार और झारखंड दो अलग-अलग राज्य बन गए. ये मामला झारखंड हाईकोर्ट के पास चला गया. फरवरी 2002 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ. इस घोटाले से जुड़े मामले में लालू यादव को पहली सजा सितंबर 2013 को सुनाई गई थी.
लालू यादव को 5 मामलों में सजा
1. चाईबासा ट्रेजरी केस
ये पूरा मामला 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. सितंबर 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इस मामले में लालू यादव जमानत पर रिहा हैं. लालू यादव पर 11 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा दी गई.
2. देवघर ट्रेजरी केस
ये मामला 89 लाख 27 हजार रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. दिसंबर 2017 में स्पेशल कोर्ट ने लालू यादव को साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई. 5 लाख का जुर्माना भी लगाया. इस मामले में भी लालू यादव को जमानत मिल चुकी है.
3. चाईबासा ट्रेजरी केस
चाईबासा ट्रेजरी से जुड़ा ये दूसरा केस है जिसमें 33 करोड़ 13 लाख रुपये की अवैध निकासी हुई थी. इस मामले में जनवरी 2018 में लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.
4- दुमका ट्रेजरी केस
ये मामला 3 करोड़ 76 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. मार्च 2018 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को सजा सुनाई थी. उन्हें 14 साल की कैद के साथ 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी गई थी. अप्रैल 2021 में झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को जमानत दे दी थी.
5. डोरंडा ट्रेजरी केस
ये मामला 139 करोड़ 50 लाख रुपये की अवैध निकासी का है. 15 फरवरी को कोर्ट ने लालू यादव को इसमें दोषी करार दिया था. इस मामले में अदालत ने लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. डोरंडा केस में लालू को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिल गई थी.