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'सरकार की आलोचना भारत विरोध नहीं', रिटायर्ड जजों पर किरण रिजिजू की टिप्पणी की वकीलों ने की निंदा

कानून मंत्री किरण रिजिजू द्वारा कुछ रिटायर्ड जजों को एंटी इंडिया बताए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और देश के अलग-अलग हाई कोर्ट के वकीलों ने खुला खत लिखा है. इसमें वकीलों ने रिजिजू के बयान की निंदा की है और इस टिप्पणी को वापस लेने की मांग की है.

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केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (फाइल फोटो)
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले 350 से ज्यादा वकीलों ने कानून मंत्री किरण रिजिजू के उस बयान की निंदा की है, जिसमें उन्होंने रिटायर्ड जजों को लेकर एक टिप्पणी की थी. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान कानून मंत्री ने कहा था कि कुछ रिटायर्ड जज एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. 

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किरण रिजिजू के इस बयान पर वकीलों के ग्रुप ने एक स्टेटमेंट जारी किया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को इस तरह बयान देना शोभा नहीं देता है. मंत्री ने ऐसा कर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है. सरकार की आलोचना करना न तो राष्ट्र के खिलाफ है और न ही कोई देशद्रोही गतिविधि है. वकीलों ने मंत्री को सार्वजनिक रूप से अपनी टिप्पणी वापस लेने और भविष्य में ऐसी टिप्पणी करने से बचने की अपील की.  

कानून मंत्री ने क्या कहा था? 

रिजिजू ने कहा था, "कुछ रिटायर्ड जज हैं शायद तीन या चार, जोकि एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए. देश के खिलाफ काम करने वालों को इसकी कीमत चुकानी होगी." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश के बाहर और भीतर भारत विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र खतरे में है. इंडिया में ह्यूमन राइट्स का अस्तित्व नहीं है. एंटी इंडिया ग्रुप जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी इस्तेमाल करते हैं. इससे भारत की छवि खराब होती है.  

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पीएम मोदी का बयान दिलाया याद 

वकीलों ने किरण रिजिजू की टिप्पणी की निंदा करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का बयान याद दिलाया, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार से कठिन सवाल और आलोचनाएं होनी चाहिए क्योंकि सरकार को सतर्क और उत्तरदायी बनाए रखने का यही एकमात्र तरीका है. वकीलों का कहना है कि कानून मंत्री को यह महसूस करना चाहिए कि वो कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक कड़ी हैं, उन्हें गरिमापूर्ण तरीके से सार्वजनिक संवाद को बनाए रखना चाहिए.  

 

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