केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि कुछ एक्टिविस्ट चाहते हैं कि कोर्ट विपक्षी दल की भूमिका निभाए. इसके साथ ही उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी के "दुस्साहस" का परिणाम है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में किरेन रिजिजू ने भारत के लोकतंत्र पर लंदन में टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोलता है वह बोलता है कि उसे बोलने की अनुमति नहीं है.
रिजिजू ने कहा कि भारत में और भारत के बाहर भारत विरोधी ताकतें एक ही भाषा का उपयोग करते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है. भारत में मानवाधिकारों का अस्तित्व नहीं है, वही भाषा राहुल गांधी इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, उसका जोर-शोर से उसी अंदाज में प्रचार किया जाता है.
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि भारत और भारत के बाहर एक सिस्टम काम कर रहा है. लेकिन हम इस 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' को हमारी अखंडता, संप्रभुता को खत्म करने की इजाजत नहीं देंगे.
रिजिजू ने कहा कि कुछ लोग कोर्ट भी जाते हैं और कहते हैं कि प्लीज सरकार पर लगाम लगाएं, सरकार की नीति बदलें. ये लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए, जो नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका तटस्थ है. न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति को शुरू करने और अंतिम रूप देने में न्यायपालिका की कोई भूमिका नहीं है. यह केवल कांग्रेस पार्टी के दुस्साहस के कारण हुआ.
रिजिजू ने कहा कि जब तक कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जाती है, हम कॉलेजियम प्रणाली का पालन करेंगे, लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायिक आदेश से नहीं की जा सकती है. यह पूरी तरह से प्रशासनिक है. हालांकि सरकार की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि कॉलेजियम प्रणाली लागू है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने किरेन रिजिजू की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि एक कानून मंत्री एक डाकू की तरह बात कर रहा है. एक न्याय मंत्री अन्याय का प्रचार कर रहा है. अगर यह स्वतंत्रता के लिए खतरा नहीं है तो क्या है?
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