विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को वॉशिंगटन डी.सी. स्थित रेबरन हाउस ऑफिस बिल्डिंग में अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की. इस बैठक का आयोजन कांग्रेसमैन ब्रैडली जेम्स शेरमैन ने किया. बैठक में कई प्रमुख अमेरिकी सांसद शामिल हुए, जिनमें कांग्रेसमैन जोनाथन जैक्सन, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति, श्री थानेदार, जीसस "चुई" गार्सिया, हांक जॉनसन, और कांग्रेसवुमन बारबरा ली, इल्हान ओमर, और जेन शाकोवस्की मौजूद थे.
इस मुलाकात का उद्देश्य भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूती देना और दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करना था.
वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सांसदों से मिले राहुल गांधी
राहुल गांधी ने इस मुलाकात के दौरान कहा कि 'हमें राजनीतिक यात्रा निकालने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि आम तौर पर लोकतंत्र में काम करने वाले उपकरण काम नहीं कर रहे थे. राजनीतिक स्तर पर मेरा काम बहुत अच्छा हुआ, लेकिन एक व्यक्ति के रूप में निजी स्तर पर मैं हमेशा इसे करना चाहता था. मैं बचपन से ही इसे करना चाहता था. मेरे मन में हमेशा यह विचार था कि मुझे अपने जीवन में किसी समय अपने देश में घूमना चाहिए और देखना चाहिए कि यह क्या है. इसके बाद राहुल गांधी ने रेबर्न हाउस ऑफिस बिल्डिंग वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की.
राहुल गांधी ने कहा कि, 'यात्रा के बाद, मैंने जितने लोगों की आवाज बन सकूं, बनने का प्रयास किया. इसके लिए आपको यह समझना होता है कि वास्तव में क्या हो रहा है. आपको कृषि जगत, वहां हो रहे संघर्षों, वित्तीय प्रणाली, और कर प्रणाली में गहराई से जाना पड़ता है. आपको लोगों से बात करनी पड़ती है, और फिर गहराई से उनकी बातों को समझकर, एक व्यापक स्तर पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करना होता है. इंडिया गठबंधन की देश के लिए दृष्टि बीजेपी की केंद्रीकृत और एकाधिकारवादी दृष्टि से पूरी तरह अलग होने वाली है
2014 के बाद से भारतीय राजनीति में आया है बड़ा बदलाव
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा को एक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सफर बताया. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव आया है. वाशिंगटन डीसी में उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि, "हमने एक ऐसी आक्रामक राजनीति देखी, जो हमारे लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला करती है. यह एक कठिन लड़ाई है, लेकिन एक अच्छी लड़ाई भी रही है. व्यक्तिगत रूप से भी काफी कुछ बदला है."
भाजपा और आरएसएस से अलग है इंडिया गठबंधन का दृष्टिकोण
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों की भारत के लिए जो दृष्टि है, वह भाजपा और आरएसएस से अलग है. "हम बहुलतावाद में विश्वास करते हैं, जहां सभी समुदायों को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है, जबकि भाजपा और आरएसएस का दृष्टिकोण अधिक कठोर है. भारत का 90% हिस्सा आदिवासी, पिछड़ी जाति, दलित और अल्पसंख्यकों का है, लेकिन समस्या उनकी भागीदारी की है. मीडिया, कॉरपोरेट या सरकार में उनकी उपस्थिति काफी कम है. देश को एक अल्पसंख्यक समूह नियंत्रित कर रहा है."