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पाकिस्तान और चीन से जारी विवाद के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है. आज भारतीय वायुसेना को स्वेदशी हल्के हमलावर हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters - LCH) मिल गए हैं. जोधपुर एयरबेस में हुए इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, देश के नए सीडीएस जनरल अनिल चौहान और चीफ ऑफ एयर स्टाफ चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी मौजूद रहे. सर्वधर्म प्रार्थना के बाद 10 LCH हेलिकॉप्टर्स को भारतीय वायुसेना में शामिल कर दिया गया. LCH को प्रचंड नाम दिया गया.
भारतीय वायुसेना वायुसेना लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स का एक स्क्वॉड्रन जोधपुर एयरबेस पर तैनात हो रहा है. इन हेलिकॉप्टरों की तैनाती से सीमा पर आसान हो जाएगी. आतंकी गतिविधियों पर विराम लगेगा.
DEAD से लैस है LCH
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर को सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है. इसका मुख्य उद्देश्य हाई एल्टीट्यूड वाले क्षेत्रों में सेना को घातक कॉम्बैट कैपासिटी उपलब्ध कराना है.
सेना से मिली जानकारी के अनुसार लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर में गजब की चुस्ती-फुर्ती, गतिशीलता देखने को मिलेगी. ऊंचे स्थानों में वार करने के लिए इसका रेंज बढ़ाया गया है. यही नहीं LCH सभी मौसम में हमला करने की तकनीक से लैस है. इसका मतलब यह है कि कोहरा, बारिश जैसे मौसम की जटिलाताओं से इसकी मारक क्षमता पर कोई असर नहीं बढ़ेगा.
दुश्मन के लिए लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर मौत का पैगाम लेकर आएगा. दरअसल इस हेलिकॉप्टर में Destruction of enemy air defence (DEAD) की क्षमता मौजूद है. यानी कि जरूरत पड़ने पर LCH दुश्मन के एयर डिफेंस को ध्वस्त कर सकता है. इसके अलावा काउंटर इंसरजेंसी (Counter-insurgency)और Combat search and rescue (CSAR) जैसे रोल को अंजाम देने में भी ये हेलिकॉप्टर सक्षम है.
LCH में ये हैं खासियत
सेना का प्लान है कि वो अभी 95 हल्के हमलावर हेलिकॉप्टर और खरीदेगी. इन्हें सात यूनिटों में सात पहाड़ी बेस पर तैनात किया जाएगा. लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters - LCH) में दो लोग बैठ सकते हैं. 51.10 फीट लंबे हेलिकॉप्टर की ऊंचाई 15.5 फीट है. इसका वजन 5800 किलोग्राम है. यह 268 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है.
कॉम्बैट रेंज 550 किलोमीटर है. यह एक बार में लगातार सवा तीन घंटे उड़ सकता है. इस हेलिकॉप्टर को ध्रुव हेलिकॉप्टरों से विकसित किया गया है. इस हेलिकॉप्टर की जरुरत 1999 में करगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी. लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स पर एक 20 mm की M621 कैनन या फिर नेक्स्टर टीएचएल-20 टरेट गन लगा सकते हैं. चार हार्डप्वाइंट्स में रॉकेट, मिसाइल या बम फिट किए जा सकते हैं.
इस हेलिकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इसपर हमला कर सकता है. क्योंकि ये सिस्टम इस हेलिकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं. इसके अलावा राडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है. साथ ही शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके.