कर्नाटक हाईकोर्ट में राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार सुनवाई चल रही है. गुरुवार को 3 जजों की बेंच ने हिजाब मामले में तकरीबन एक घंटा सुनवाई की. अब अदालत में शुक्रवार यानी 18 फरवरी को सुनवाई होगी. आज की सुनवाई के मुख्य अपडेट्स:
- पार्टी-इन-पर्सन विनोद कुलकर्णी ने हाईकोर्ट की बेंच से दरख्वास्त करते हुए कहा कि छात्राओं को शुक्रवार यानी जुमा के दिन स्कूलों में हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए. कृपया, अभी के लिए छात्राओं को कम से कम शुक्रवार को हिजाब पहनने की अनुमति दें. यह अंतरिम आदेश जनाक्रोश पैदा कर रहा है. इस पर अदालत ने कहा, ''ठीक है, हम आपके अनुरोध पर विचार करेंगे.'' बता दें कि फिलहाल शिक्षण संस्थानों में अदालत के अंतरिम फैसले के चलते कोई भी धार्मिक पोशाक पहनकर जाना मना है.
- सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से हिजाब मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि रिट याचिकाओं को लेकर याचिकाकर्ता पहले से ही अदालत में हैं. हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पर जुर्माना भी लगाया. उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी याचिकाओं के माध्यम से आप इतने महत्वपूर्ण मामले में अदालत का समय बर्बाद कर रहे हैं.
- दरअसल, मूल याचिकाओं पर चल रही सुनवाई के बीच कर्नाटक हिजाब विवाद में एक और हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम हस्तक्षेप याचिका का कॉन्सेप्ट नहीं समझ पा रहे हैं. हम याचिकाकर्ताओं और फिर प्रतिवादियों को सुन रहे थे. हमें किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.'
- राज्य की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दायर की जा रही नई याचिकाओं में कार्रवाई का कोई कारण नहीं दिखाया गया है. अटॉर्नी जनरल ने कहा, कृपया विचार करें कि हम कितनी याचिकाओं का जवाब दे सकते हैं. हम इसे याचिकाओं के लिए एक मंच बनने की अनुमति नहीं दे सकते, यहां तक कि बिना किसी कार्रवाई के कारण के दायर किए जाने के लिए.
- आज हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले अधिवक्ता आदित्य चटर्जी का कहना था कि वह उसी सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली नई याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रहे हैं.
बुधवार को कोर्ट में क्या हुआ?
इससे पहले बुधवार को केर्ट में मुस्लिम छात्राओं की ओर से कई दलीलें पेश की गईं. वकील ने कहा- लॉकेट, क्रॉस, चूड़ी, बिंदी पहनने पर प्रतिबंध नहीं तो सरकारी आदेश में सिर्फ हिजाब पर ही सवाल क्यों है?
अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने कहा, मैं केवल समाज के सभी वर्गों में धार्मिक प्रतीकों की विविधता को उजागर कर रहा हूं. सरकार अकेले हिजाब को चुनकर भेदभाव क्यों कर रही है? चूड़ियां पहनी जाती हैं? क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं है? कुमार ने कहा, यह केवल उनके धर्म के कारण है कि याचिककर्ता को कक्षा से बाहर भेजा जा रहा है. बिंदी लगाने वाली लड़की को बाहर नहीं भेजा जा रहा, चूड़ी पहने वाली लड़की को भी नहीं. क्रॉस पहनने वाली ईसाइयों को भी नहीं, केवल इन्हें ही क्यों. यह संविधान के आर्टिकल 15 का उल्लंघन है. वरिष्ठ अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने राज्य सरकार की अधिसूचना को अवैध ठहराते हुए कहा है कि कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट में इस संबंध में प्रावधान नहीं है.
दरअसल उडुपी के एक सरकारी कॉलेज (Udupi Hijab Row) से यह विवाद शुरू हुआ था. मुस्लिम छात्राओं के वकील आर्टिकल 25 का हवाला देते हुए इसे जरूरी इस्लामिक प्रथा (Hijab in Islam) बता रहे हैं. हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत (Devdutt Kamat) ने राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को अवैध ठहराते हुए कहा है कि कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट में इस संबंध में प्रावधान नहीं है.
क्या है कर्नाटक सरकार का रूख?
कर्नाटक सरकार हिजाब विवाद पर साफ कर चुकी है कि हाईकोर्ट का अंतरिम फैसला जो भी होगा उसका पालन किया जाएगा. सीएम बसवराज बोम्मई ने विधानसभा में ये बात कही है. वहीं, कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेन्द्र ने प्रदर्शनकारियों को दो टूक कहते हुए कहा कि अगर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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