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चाइनीज कंपनियों को भारतीय मार्केट में जबरदस्त झटका, 10 में से 6 लोग कर रहे हैं बायकॉट

भारत और चीन के बीच तनाव का असर मार्केट में भी दिखने लगा है. भारतीय लोग अब चीनी प्रोडक्ट को खरीदने से परहेज करने लगे हैं. चीन को लेकर लोगों में नाराजगी है और अब 10 में से 6 लोग चाइनीज कंपनियों का सामान खरीदने से इंकार कर रहे हैं. यानी इन लोगों ने चीनी आइटम का बायकॉट किया है.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.

अरुणाचल प्रदेश में एक बार फिर चीनी सेना से झड़प के बाद भारतीयों का गुस्सा उबाल पर है. लोगों की खुलकर नाराजगी देखने को मिल रही है. इसका असर भारतीय मार्केट में भी देखने को मिल रहा है. हालात ये हैं कि लोग अब चाइनीज कंपनियों का सामान खरीदने से परहेज कर रहे हैं. एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. दावा किया गया है कि चीन को लेकर लोगों में इस कदर नाराजगी है कि 10 में से 6 लोग चाइनीज प्रोडक्ट का बायकॉट कर रहे हैं. ये सर्वे लोकल सर्कल की तरफ से किया गया है.

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बताते चलें कि 2020 में गलवान संघर्ष के बाद अब तवांग इलाके में हुई झड़प के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, जिसकी वजह से भारतीयों में सबसे ज्यादा नाराजगी मार्केट में देखने को मिल रही है. चीनी निर्मित फैशन, ड्रेस और वाहन के सामान की मांग में गिरावट देखने को मिल रही है. लोकल सर्कल के सर्वे में पाया गया कि भारतीय अब स्वदेशी प्रोडक्ट को लेकर प्राइज, क्वालिटी और कस्टमर सर्विस से खुश हैं. हालांकि, तीन में से एक भारतीय अभी भी मेड इन चाइना गैजेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. सर्वे में शामिल 59% भारतीयों के फोन में कोई चीनी ऐप नहीं है, जबकि 29% के पास अभी भी एक या इससे ज्यादा चीनी ऐप हैं.

58% भारतीयों ने किया मेड इन चाइना प्रोडक्ट का बायकॉट

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LAC पर झड़प के बाद लोकल सर्कल द्वारा किए गए सर्वे से पता चलता है कि 58% भारतीयों ने अब मेड इन चाइना प्रोडक्ट की खरीदारी कम कर दी है, उनमें से 26% का कहना है कि उन्होंने विकल्प के तौर पर भारतीय प्रोडक्ट को कीमत और गुणवत्ता में बेहतर पाया है. सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि वे सभी कारण क्या हैं जिनकी वजह से आपने पिछले 12 महीनों में चीनी प्रोडक्टस की खरीदारी को कम कर दिया? जवाब में 58% ने कहा कि उन्होंने चीन से तनाव के चलते बायकॉट किया है और भारत में निर्मित प्रोडक्ट खरीदे हैं. 28% ने कहा कि विकल्प के तौर पर भारतीय प्रोडक्ट रेट और क्वालिटी और कस्टमर सर्विस में भी बेहतर हैं. 11% ने बेहतर क्वालिटी, रेट को देखते हुए भारतीय प्रोडक्ट को चुना. 8% ने अल्टरनेटिव विदेशी प्रोडक्ट को प्राथमिकता दी.

इसके अलावा, 8% ने कहा कि उनकी पसंद के प्रोडक्ट अन्य कंपनियों के 'बाजारों, दुकानों या ऑनलाइन में नहीं मिले, जिसकी वजह से मजबूरी में कई मेड इन चाइना प्रोडक्ट की खरीददारी करनी पड़ी.' 11% का कहना था कि पिछले एक साल में किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने की जरूरत का अभाव एक डिसाइडिंग फैक्टर था. 35% ने पिछले 12 महीनों में खरीदे गए चीनी प्रोडक्ट की टॉप कैटेगरी के रूप में गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान और एसेसरीज के बारे में बताया. 14% ने त्योहार के सामान जैसे लाइटिंग, लैंप आदि की खरीदारी की.

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भारतीयों की खरीदारी लिस्ट में टॉप पर चीनी गैजेट्स

सर्वे में एक और सवाल जानने की कोशिश की गई. भारतीय अभी भी किस तरह के मेड इन चाइना प्रोडक्ट खरीद रहे हैं और वे क्या कम खरीद रहे हैं? लोगों से पूछा गया- पिछले 12 महीनों में आपने जो मेड इन चाइना प्रोडक्ट खरीदे हैं, उनकी सभी अलग-अलग कैटेगरी क्या हैं? जवाब में 35% ने गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान और एसेसरीज खरीदने के बारे में बताया. 14% का कहना था कि वे त्योहार के सामान जैसे लाइटिंग, लैंप, आदि चाइनीज प्रोडक्ट खरीदते हैं. 8% ने बताया कि वे सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट खरीदते हैं. अन्य 8% ने होम फर्निशिंग प्रोडक्ट की खरीदारी की.

फैशन प्रोडक्ट में आई तेजी से गिरावट
चीनी खिलौने और स्टेशनरी सिर्फ 5% लोगों ने ही खरीदे. साथ ही चीनी गिफ्ट आर्टिकल भी 5% और उनके परिवारों के लोग ने पसंद किए. इसके अलावा, 11% ने अन्य चीनी प्रोडक्ट को खरीदने की बात स्वीकार की. ये सवाल 16,450 लोगों से पूछा गया और कई ने स्वीकार किया कि उन्होंने चीनी प्रोडक्ट की एक से ज्यादा कैटेगरी खरीदी हैं. 2021 में चीनी फैशन प्रोडक्ट को खरीदने की अच्छी खासी डिमांड थी. इसमें बड़ी गिरावट आई है. सालभर पहले 11% लोग फैशन प्रोडक्ट खरीदते थे. अब 2022 के सर्वे में पाया गया कि सिर्फ 3% 'मेड इन चाइना' बैग, परिधान, सामान आदि खरीद रहे हैं. 

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चीन के वाहन भी पसंद नहीं

वाहन एसेसरीज कैटेगरी में 7% के लोगों के जवाब आए. इस साल अब तक किसी ने चीन में निर्मित वाहन एसेसरीज को खरीदने की बात स्वीकार नहीं की है. हालांकि, चीन को गैजेट्स प्रोडक्ट के मामले में राहत है. मेड इन चाइना गैजेट्स की साल-दर-साल मांग 2021 और अब लोकल सर्कल्स सर्वे के अनुसार 29% से बढ़कर 35% हो गई है. इसी तरह त्योहारी प्रोडक्ट की मांग 11% से बढ़कर 14% हो गई है. ग्राहक इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स की मांग में 1% की मामूली वृद्धि 7% से 8%, खिलौनों और स्टेशनरी में 4% से 5% और चीन से आने वाले गिफ्ट आइटम में समान वृद्धि हुई है.

29% भारतीयों के फोन में कम से कम 1 चाइनीज ऐप

सर्वे में शामिल 29% भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स के पास अभी भी उनके मोबाइल फोन में एक या दो चीनी ऐप हैं, हालांकि अधिकांश 59% के पास कोई नहीं है. सर्वे में पूछा गया कि वर्तमान में आपने अपने फोन पर कितने चीनी ऐप इंस्टॉल किए हैं जो ई-कॉमर्स, डिवाइस मैनेजमेंट, गेमिंग, फोटो एडिटर, ऑडियो/वीडियो एडिटर, स्कैनर या सोशल नेटवर्किंग जैसे कामों से संबंधित हैं? ये सवाल 12,601 लोगों से पूछा गया. 29% लोगों ने स्वीकार किया कि उनके मोबाइल में एक या इससे ज्यादा ऐप हैं. डेटा के एनालिसिस से पता चलता है कि 22% के पास मोबाइल फोन में एक या दो चीनी ऐप हैं. 4% के पास 3 से 4 ऐप हैं और अन्य 3% के पास पांच या ज्यादा ऐप हैं.

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दरअसल, भारत में निर्मित गुणवत्तापूर्ण प्रोडक्ट और उनकी बिक्री बढ़ने से चीनी आइटम के सामने संकट खड़ा हो गया है. मार्केट में भारत की स्थिति मजबूत होती जा रही है. भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बढ़ रहा है. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में उपलब्ध कराए आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में अब तक अप्रैल-अक्टूबर के दौरान इसने 51.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर को छू लिया है, जबकि 2021-22 के वित्तीय वर्ष के दौरान 73.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2020-21 में 44.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है.

इस वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान भारत का आयात 60.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि निर्यात 8.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. चीन से आने वाले अधिकांश प्रोडक्ट कैपिटल गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स और कच्चे माल है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और बिजली जैसे तेजी से बढ़ते सेक्टर की मांग को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है. चीन से अन्य आयात पशु या वनस्पति हैं. खनिज ईंधन, अकार्बनिक रसायन, कार्बनिक रसायन, उर्वरक, पैंट, रासायनिक प्रोडक्ट, प्लास्टिक और आर्टिकल, कागज और पेपरबोर्ड, कपास, कपड़ा कपड़े, जूते, कांच और कांच के बने पदार्थ, लोहा और स्टील, तांबा, फर्नीचर हैं.

 

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