बीजेपी ने ओडिशा में इतिहास रच दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के लोगों का अभिवादन करते हुए अपने विजयी भाषण की शुरुआत 'जय जगन्नाथ' से की. उन्होंने गर्व से कहा, "महाप्रभु जगन्नाथ की धरती पर पहली बार बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा."
भुवनेश्वर से बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा, "मैं उड़िया हूं और जब प्रधानमंत्री ने 'जय जगन्नाथ' कहा तो मुझे वाकई बहुत गर्व महसूस हुआ. प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ओडिशा का विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होगा."
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बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव के नतीजों के अलग-अलग मायने हैं. कुछ राज्यों में भगवा पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है और ओडिशा उनमें से एक है, जहां बीजेपी ने 21 में से 20 लोकसभा सीटें जीती हैं. पार्टी ने 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें जीती हैं और राज्य में अगली सरकार बनाने जा रही है.
ओडिशा में बीजेपी ने 21 में से 17 लोकसभा सीटें और 147 में से 75 विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था. बीजेपी के हाथों करारी हार झेलने के बाद नवीन पटनायक का 24 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. पटनायक ने राजभवन में ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास को अपना इस्तीफा सौंपा.
राम की नगरी अयोध्या से बीजेपी क्यों हारी?
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक चार महीने बाद, पार्टी फैजाबाद लोकसभा सीट से हार गई, जिसका एक हिस्सा अयोध्या भी है. जिला बीजेपी संगठन के नेताओं का मानना है कि अयोध्या के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नहीं, बल्कि बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह के खिलाफ वोट दिया है. इसके अलावा स्थानीय मुद्दे भी चर्चा में रहे, क्योंकि लोग मंदिर और एयरपोर्ट के आसपास हो रहे भूमि अधिग्रहण से काफी नाराज थे.
एक स्थानीय बीजेपी नेता ने कहा, "बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह किसी काम के नहीं थे. उन्होंने अयोध्या के लोगों की शिकायतों को कभी नहीं सुना. लोग मोदी जी के खिलाफ नहीं बल्कि उम्मीदवार के खिलाफ वोट देना चाहते थे. जब भी लोग किसी काम के लिए उनके पास जाते थे, तो वे हमेशा कहते थे कि आपने मुझे नहीं बल्कि मोदी जी को वोट दिया है, उनसे जाकर बात करें. जब अयोध्यावासियों ने भूमि अधिग्रहण रोकने के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध किया, तो उन्होंने मदद नहीं की."
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अवधेश सिंह ने अयोध्या से दर्ज की जीत
सपा के प्रमुख दलित चेहरों में से एक नौ बार विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 मतों के अंतर से हराया. फैजाबाद से टिकट मांगने वाले एक बीजेपी नेता ने कहा, "लोग अयोध्या में पीएम मोदी के काम से वास्तव में खुश थे और चाहते थे कि वे फिर से प्रधानमंत्री बनें. मतदाताओं ने उम्मीदवार के खिलाफ वोट देकर पार्टी हाईकमान को संदेश दिया है."
निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह उन कुछ बीजेपी नेताओं में से थे जिन्होंने कहा कि संविधान बदलने के लिए बीजेपी को 400 से अधिक सीटों की जरूरत है. इस बयान से दलित आबादी खतरे में पड़ गई, जो फैजाबाद जिले में 26% है. 5 लाख मुस्लिम आबादी वाला फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र सपा और बसपा दोनों के निशाने पर रहा है. इस बार सपा मुस्लिम और दलित दोनों आबादी को अपने पक्ष में करने में सफल रही, जो निर्णायक रूप से बीजेपी से दूर हो गई.