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लोकसभा अध्यक्ष को लेकर राजनाथ सिंह के घर NDA की अहम बैठक... जानिए BJP के लिए क्यों जरूरी है स्पीकर पद

मोदी कैबिनेट 3.0 के शपथ ग्रहण और पोर्टफोलियो बंटवारे के बाद अब 24 जून से संसद का बजट सत्र शुरू हो सकता है. इसके साथ ही 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक संसद का 8 दिवसीय विशेष सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चल सकता है. संसद के विशेष सत्र में 24 और 25 जून को नए सांसदों का शपथ ग्रहण हो सकता है. वहीं, 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने की संभावना है.

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर हुई NDA की बैठक
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर हुई NDA की बैठक

सरकार के गठन के बाद अब केंद्र ने जहां एक तरफ कामकाज शुरू कर दिया है तो वहीं कई रणनीतियों को लेकर बैठकों का दौर भी जारी है. इसी कड़ी में रविवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर संसद सत्र को लेकर बड़ी बैठक हुई. बैठक में जेपी नड्डा, अश्वनी वैष्णव, किरण रिजिजू, ललन सिंह, चिराग पासवान मौजूद रहे. सवाल है कि इस बैठक का एजेंडा और वजह क्या थी? 

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राजनाथ सिंह के आवास पर हुई बैठक
सामने आया है कि, राजनाथ सिंह आवास पर बैठक हुई बैठक समाप्त हो गई है. केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास से निकले दिखे.18वीं लोकसभा के पहले संसदीय सत्र को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एनडीए की बैठक हुई. सूत्रों की मानें तो, बैठक में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के एनडीए उम्मीदवार के लिए पक्ष के साथ कई विपक्षी दलों को साधने की रणनीति पर चर्चा हो रही है. 

स्पीकर का पद बीजेपी के लिए चुनौती
लोकसभा चुनाव जीतकर एनडीए ने सरकार बना ली है. नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बन गए हैं और कैबिनेट में मंत्रियों को पोर्टफोलियो भी बंट चुका है. अब बाकी बचा है एक आखिरी काम, लोकसभा स्पीकर का चयन. बीजेपी नीत NDA के लिए ये भी किसी चुनौती से कम नहीं है. पिछली सरकार में तो कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिड़ला ने स्पीकर की गद्दी संभाली थी, लेकिन मौजूदा सरकार में अभी इस गद्दी पर कौन काबिज होगा, उसका चयन नहीं हो सका है. 

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24 जून से शुरू हो सकता है संसद सत्र
मोदी कैबिनेट 3.0 के शपथ ग्रहण और पोर्टफोलियो बंटवारे के बाद अब 24 जून से संसद का बजट सत्र शुरू हो सकता है. इसके साथ ही 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक संसद का 8 दिवसीय विशेष सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चल सकता है. संसद के विशेष सत्र में 24 और 25 जून को नए सांसदों का शपथ ग्रहण हो सकता है. वहीं, 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने की संभावना है.

विपक्ष के बयान से मची है हलचल
लेकिन, इन तमाम बातों के बीच विपक्ष ने स्पीकर पद को लेकर सनसनी मचा दी है. दरअसल, 10 साल बाद के लंबे अंतराल के बाद इस बार विपक्ष मजबूत स्थिति में है. ऐसे में पांच साल से जो डिप्टी स्पीकर का पद खाली पड़ा है, विपक्ष उसे लेने के लिए दबाव बना सकता है, वहीं विपक्ष की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर डिप्टी स्पीकर का पद उन्हें नहीं दिया जाता है तो वह स्पीकर पद के लिए भी उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं. विपक्ष इसके लिए तैयारी कर रहा है. 

स्पीकर कौन? बीेजेपी में मंथन जारी
इन सारी बातों के बीच बीजेपी ने इस पर मंथन शुरू कर दिया है. इसी के मद्देनजर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर संसद सत्र को लेकर बड़ी बैठक हो रही है. बैठक में जेपी नड्डा, अश्वनी वैष्णव, किरण रिजिजू, ललन सिंह, चिराग पासवान मौजूद हैं. इस बैठक में लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुनाव चुनाव को लेकर रणनीति पर चर्चा हो रही है. सूत्रों के अनुसार स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के एनडीए उम्मीदवार के लिए पक्ष के साथ कई विपक्षी दलों को साधने की रणनीति पर चर्चा हो रही है. 

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उपाध्यक्ष का पद खाली न रखने को लेकर विपक्ष बनाएगा दबाव
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में 'इंडिया' ब्लॉक (विपक्ष) की सीटें बढ़ने के साथ ही 10 साल बाद निचले सदन को विपक्ष का नेता भी मिलेगा. साथ ही विपक्ष उपाध्यक्ष पद के चुनाव की भी उम्मीद कर रहा है. बता दें कि पिछले पांच साल से उपाध्यक्ष का पद खाली है. 17वीं लोकसभा में पांच साल तक उपाध्यक्ष का पद रिक्त रहा. साथ ही यह दूसरी बार था जब सदन में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं था. आमतौर पर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता है. विपक्ष के एक नेता का कहना है कि वे इसके लिए सदन में दबाव बनाएंगे कि इस बार उपाध्यक्ष का पद खाली न छोड़ा जाए.

क्या स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार खड़ा कर सकता है विपक्ष?
दूसरी तरफ, सूत्रों की मानें तो अगर विपक्षी दलों को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दिया गया तो वे स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं. इस संबंध में अंतिम निर्णय संसद सत्र शुरू होने से पहले लिया जाएगा.

JDU-TDP को उकसाने का काम भी कर रहा है विपक्ष
इसके अलावा विपक्ष एक और रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें उसकी कोशिश TDP और जेडीयू को उकसाने की है कि स्पीकर पद पर अपने दल में से किसी को बैठाने के लिए तैयार करें. आम आदमी पार्टी ने बीते दिनों एनडीए के घटक टीडीपी और जेडी (यू) से यह तय करने के लिए कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष दोनों पार्टियों में से एक हो. AAP ने कहा कि यह उनके साथ-साथ संविधान और लोकतंत्र के हित में होगा. वहीं, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर भाजपा लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखती है तो उसके गठबंधन सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को अपने सांसदों की खरीद-फरोख्त के लिए तैयार रहना चाहिए.

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जेडीयू ने साफ कर दिया है अपना पक्ष
हालांकि इस बीच जेडीयू की ओर से भाजपा के लिए राहत भरी खबर ये है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली यह पार्टी स्पीकर पद के लिए NDA के समर्थन को लेकर खुली हामी भर चुकी है. हाल ही में जदयू नेता केसी त्यागी ने इसकी पुष्टि की थी. जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी कह चुके हैं कि, जदयू और टीडीपी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं और लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए भाजपा द्वारा नामित उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.

केसी त्यागी ने कही ये बात
त्यागी ने कहा, 'जेडीयू (जनता दल-यूनाइटेड) और टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) मजबूती से एनडीए में हैं. हम बीजेपी द्वारा (स्पीकर के लिए) नामित व्यक्ति का समर्थन करेंगे.' उनसे कुछ विपक्षी नेताओं की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया था कि नया लोकसभा अध्यक्ष टीडीपी या जेडी-यू से हो सकता है. इस पर उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र में अपने सहयोगियों के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है. 'टीडीपी और जेडीयू एनडीए के साथ हैं. हम बीजेपी द्वारा (स्पीकर के लिए) नामित किए गए व्यक्ति का समर्थन करेंगे.'

क्या टीडीपी बन सकती है बीजेपी के लिए उलझन
अब सवाल ये है कि क्या जदयू नेता केसी त्यागी की बात को टीडीपी का भी बयान समझा जा सकता है? इसका जवाब है कि पार्टी जब तक खुद इस बारे में स्प्ष्ट रूप से कुछ न कह दे तो तब तक यह तय नहीं माना जा सकता है. टीडीपी का अब तक का यही अनिश्चित रुख ही बीजेपी के लिए तनाव की वजह भी है. 

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संजय राउत ने कही ये बात
इसी बीच शिवसेना (उद्धव गुट) से संजय राउत ने कहा कि, 'लोकसभा अध्यक्ष पद की लड़ाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार स्थिति 2014 और 2019 जैसी नहीं है और सरकार स्थिर नहीं है. अगर राहुल गांधी बोलते हैं कि हम चाहें तो सरकार कभी भी गिरा सकते हैं तो इसका मतलब समझ जाइए. हमने सुना है कि चंद्रबाबू नायडू ने स्पीकर पद मांगा है, ये ठीक बात है. हमने सुना है कि चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा अध्यक्ष का पद मांगा है.'

यह भी पढ़िएः उपाध्यक्ष पद नहीं मिला तो... लोकसभा स्पीकर के चुनाव में उम्मीदवार उतारने की तैयारी में विपक्ष

बीजेपी ने हमें धोखा दिया: संजय राउत
राउत ने आगे कहा कि, 'अगर एनडीए के किसी उम्मीदवार को लोकसभा अध्यक्ष का पद नहीं मिलेगा, तो पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) को तोड़ देंगे. अगर चंद्रबाबू नायडू को यह पद नहीं मिलता है तो हम सुनिश्चित करेंगे कि उनके उम्मीदवार को इंडिया ब्लॉक से समर्थन मिले. संजय राउत ने आगे कहा कि जो लोग भाजपा का साथ देते हैं, वो उसे ही धोखा देती है. उन्होंने कहा कि इस बात का सबसे ज्यादा अनुभव हमारे से ज्यादा किसे होगा. भाजपा ने शिवसेना को तोड़ने का काम किया और हमें धोखा दिया.'

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बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है स्पीकर पद
बीजेपी के लिए स्पीकर पद क्यों जरूरी है, इसका जवाब बीजेपी के ही बीते इतिहास से मिलता है. साल था 1999. उस दौरान बीजेपी नीत एनडीए की सरकार थी, लेकिन गठन के कुछ ही महीने में सरकार अल्पमत में आ गई थी. उस दौरान TDP भी NDA में शामिल थी. सरकार को समर्थन देने के ऐवज में टीडीपी ने केवल स्पीकर पद की ही मांग की थी, लेकिन इसी एक पद ने बीजेपी के साथ खेल कर दिया था. 

जब गिर गई थी वाजपेयी सरकार
टीडीपी की मांग के अनुसार लोकसभा स्पीकर टीडीपी के बालयोगी बने थे. अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने, लेकिन इस गठबंधन को चलाना वाजपेयी के लिए मुश्किल हो रहा था. 13 महीने की ये सरकार तब गिर गई जब सदन में अन्नाद्रमुक की प्रमुख जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया. उस दौरान सरकार अल्पमत में आ गई और उसे सदन में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा. सदन में हुए इस शक्ति परीक्षण में वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई.

टीडीपी कर चुकी है बड़ा खेल
असल में, लोकसभा स्पीकर के रूप में बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग को वोट देने की अनुमति दे दी थी. वह तीन महीने पहले ही सीएम बने थे, लेकिन उन्होंने तब तक सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था. इस लिहाज से उनका यही एक वोट सरकार गिराने की वजह बना. एक बार फिर सदन में एनडीए गठबंधन के साथ बहुमत में है. टीडीपी इस बार भी साथ है, लेकिन बीजेपी के लिए खुद की पार्टी का स्पीकर रखना, इसी 'दूध के जले' की वजह जरूरी बन गया है.

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