scorecardresearch
 

सदन में पलट गया गेम, स्पीकर ओम बिरला ने इमरजेंसी की दिलाई याद, दो मिनट का मौन भी

ओम बिरला ने कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा. इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया.

Advertisement
X
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

लोकसभा (Lok Sabha) में बुधवार को अलग ही नजारा दिखा. एक तरफ ओम बिरला के फिर से लोकसभा स्पीकर बनने पर विपक्ष ने जहां स्वागत किया, साथ ही निष्कासन के मामलों को लेकर ताने कसे. वहीं कुछ देर में गेम एकदम से पलटता दिखा. स्पीकर ओम बिरला ने अपनी पहली ही स्पीच में एकदम अलग रुख दिखाया. विपक्ष हक्का-बक्का रह गया. ओम बिरला ने 1975 में इंंदिरा सरकार के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी की बरसी पर जमकर सदन में सुनाया. इमरजेंसी को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया, कांग्रेस को उसके लिए घेरा और सदन में दो मिनट का मौन भी रखवा दिया.

Advertisement

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, "यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है. इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया." 

यह भी पढ़ें: ओम बिरला फिर चुने गए लोकसभा स्पीकर, ध्वनिमत से हुआ फैसला

ओम बिरला ने आगे कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा. इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया. भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है. भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है. 

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है. ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई. भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया.

'देश को जेलखाना बना दिया गया...'

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, पूरी आजादी छीन ली गई. ये दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया. तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदिया लगाई थी, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था. इमरजेंसी का वह समय हमारे देश के इतिहास में अन्यायकाल का एक काला खंड था. इमरजेंसी लगाने के बाद कांग्रेस सरकार ने कुछ ऐसे फैसले किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया. 

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने दी ओम बिरला को बधाई, साथ ही बताईं व‍िपक्ष की अपेक्षाएं

ओम बिरला ने आगे कहा कि आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम में बदलवा करके कांग्रेस पार्टी ने सुनिश्चित किया कि हमारी अदालतें गिरफ्तार लोगों को न्याय नहींं दे पाएं. मीडिया को सच लिखने से रोकने के लिए अधिनियम लाए गए. इस काले खंड में संंविधान में 38वां, 39वां, 40वां, 41वां और 42वां संविधान संशोधन किया गया. इसका उद्देश्य था कि सारी शक्तियां एक व्यक्ति के पास आ जाएं.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र सिद्धांत पर आघात किया. इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का प्रहार झेलना पड़ा. ये सदन उन सभी लोगों प्रति संवेदना जताना चाहता है. इमरजेंसी का काला खंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस वक्त हम सभी पर हमला किया गया. ऐसे समय में जब इमरजेंसी के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये 18वीं लोकसभा अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है. हम भारत में कानून का शासन और शक्तियों का विकेंद्रीकरण अक्षुण रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Live TV

Advertisement
Advertisement