मैसूर लोकायुक्त ने नोटिस जारी कर 18 अधिकारियों को 3 दिनों के अंदर जांच के लिए उपस्थित होने को कहा है. यह नोटिस आरटीआई कार्यकर्ता गंगाराजू की 2017 की दर्ज शिकायत से संबंधित है, जिसमें अवैध भूमि के सौदों का आरोप लगाया गया है.
शिकायत में मैसूर विजयनगर हिंकल द्वितीय चरण मैसूर सर्वे नंबर 89 शामिल है. यहां लेआउट विकसित करने के लिए MUDA ने 7 एकड़ और 18 गुंटा भूमि अधिग्रहित की थी. हालांकि, 1996-97 में हिंकल पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव और सदस्यों ने कथित तौर पर गरीबों के लिए भूखंड बनाने और वितरित करने के बहाने इस संपत्ति पर अतिक्रमण किया.
अवैध रूप से की गई प्लॉट की बिक्री!
MUDA से उचित प्राधिकरण के बिना कथित रूप से झूठे दस्तावेज बनाए गए और 25x25 फीट माप वाले 350 से अधिक भूखंडों को अवैध रूप से BEML कर्मचारियों, स्कूल शिक्षकों, पंचायत पीडीओ, डाकघर कर्मचारियों, सरकारी कर्मचारियों, पंचायत अध्यक्षों, उपाध्यक्षों को बांट दिया गया.
अतिक्रमण वाली संपत्ति वापस लेने की मांग
गंगाराजू ने 2017 में MUDA और ACB में शिकायत दर्ज कराई थी कि अतिक्रमण की गई संपत्ति को वापस लिया जाए. 2022 में ACB ने FIR दर्ज की, जिसे बाद में लोकायुक्त को ट्रांसफर कर दिया गया. अब लोकायुक्त ने 2017 में पद पर रहे अधीक्षण अभियंता और सचिव समेत MUDA के 18 अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर जांच के लिए पेश होने का निर्देश दिया है.
MUDA क्या है?
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था यानी कि ऑटोनॉमस बॉडी है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है. मामला जमीन घोटाले का है, इसलिए MUDA का नाम इस मामले में शुरू से जुड़ता आ रहा है.