कोरोना वायरस के बाद अब जनता मंकीपॉक्स से जूझ रही है. मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर जनता परेशान ही थी कि अब देश में एक नई बीमारी ने दस्तक दे दी है. देश में लंबी स्कीन डिजिज (Lumpy Skin Disease) ने टेंशन बढ़ा दी है. मवेशियों में फैल रही इस बीमारी के कारण गुजरात और राजस्थान के कई जिले प्रभावित हैं.
Lumpy Skin Disease कितनी खतरनाक साबित हो रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस जानलेवा बीमारी के कारण गुजरात और राजस्थान, दोनों ही राज्यों में कुल मिलाकर 24 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है. आधा गुजरात मवेशियों की इस खतरनाक बीमारी की चपेट में है. गुजरात के 33 में से 17 जिले इस बीमारी से प्रभावित हैं.
गुजरात के ये जिले हैं प्रभावित
गुजरात की बात करें तो सूबे में Lumpy Skin Disease के कारण 1200 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है. सूबे के कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी मवेशियों को हो रही इस खतरनाक बीमारी से प्रभावित हैं. सुरेंद्रनगर, अमरेली, भावनगर, बोतड, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बनासकांठा, पाटन, सूरत, अरावली और पंचमहल जिले के मवेशियों को भी ये बीमारी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है.
राजस्थान के इन जिलों में फैली बीमारी
लंपी स्किन डिजीज नाम की ये बीमारी पहले राजस्थान के पाकिस्तान की सीमा से सटे जिलों में फैली. लंपी स्किन डिजीज पहले जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिलों में फैली. अब ये बीमारी जोधपुर, जालौर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और अन्य जिलों में भी फैल रही है. प्रदेश में इस बीमारी के कारण अब तक 1200 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है.
पाकिस्तान के रास्ते आई ये बीमारी
लंपी स्किन डिजीज नाम की ये बीमारी गुजरात और राजस्थान में कहर बरपा रही है. इस बीमारी को लेकर राजस्थान के अधिकारियों का कहना है कि ये संक्रामक रोग पड़ोसी पाकिस्तान के रास्ते अप्रैल महीने में भारत आया था. इस बीमारी का ओरिजिन अफ्रीका बताया जा रहा है. लंपी बीमारी का पहला केस अफ्रीका में 1929 में सामने आया था.
संक्रामक रोग लंपी के ये हैं लक्षण
लंपी बीमारी की बात करें तो ये एक संक्रामक रोग है. लंपी की चपेट में आने वाले मवेशियों को बुखार आता है. मवेशी के पूरे शरीर में गांठ, नरम छाले पड़ जाते हैं. मुंह से लार निकलता है और आंख-नाक से भी स्राव होता है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक दुग्ध उत्पादन में कमी आना, मवेशी का ठीक से भोजन नहीं कर पाना भी इस बीमारी के लक्षण हैं. इस बीमारी की चपेट में आने पर मवेशी के लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बांझपन का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.
कैसे फैलता है संक्रमण, क्या है बचाव
लंपी वायरस की बात करें तो संक्रमण मच्छर-मक्खी और चारा के साथ ही संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से भी फैलती है. इसके इलाज के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में डॉक्टर्स लक्षण के आधार पर उपलब्ध दवाओं का ही उपचार में उपयोग करते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाए और मवेशियों को किसी संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से बचाया जाए.