एक स्वास्थ्य अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में पिछले सात दिनों में बच्चों में खसरे के 11 मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से दस बच्चों को संक्रामक बीमारी का टीका नहीं लगाया गया था. जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. तरुण गुप्ता ने बताया कि दो फरवरी से अब तक छह महीने से नौ साल की उम्र के 11 बच्चे संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं.
इनमें से एक बच्चे को टीके की पहली खुराक दी गई थी, जबकि अन्य को एक भी खुराक नहीं दी गई थी. बता दें कि भारत सरकार विशेष रूप से 2023 के अंत तक भारत से खसरे को खत्म करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
बता दें कि बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में बच्चों को खसरे के संक्रमण ने जकड़ा था. बीते 22 दिसंबर को आई रिपोर्ट के अनुसार केवल मुंबई में इसके मामले बढ़कर 505 हो गए थे और जनवरी 2022 से अब तक महाराष्ट्र में खसरे से 9 मौतें दर्ज की गई हैं.
खसरे के लक्षण क्या हैं?
WHO के मुताबिक, खसरे की चपेट में आने पर सबसे पहले तेज बुखार आता है. इसके लक्षण दिखने में 10 से 12 दिन का समय लग सकता है. इससे संक्रमित होने पर नाक बहती रहती है, कफ बना रहता है, आंखों से पानी आता है, आंखें लाल हो जाती हैं, मुंह-गले और हाथ-पैर पर दाग नजर आते हैं.
कितना खतरनाक है खसरा?
खसरा बेहद संक्रामक बीमारी है और खतरनाक भी. WHO का कहना है कि दुनियाभर में वैक्सीनेशन के बावजूद हर साल खसरे से लाखों मौत होती हैं. पिछले साल ही दुनियाभर में खसरे के 90 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और 1.28 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. 22 देश ऐसे थे जहां खसरे का प्रकोप सबसे ज्यादा था. खसरा से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह इस बीमारी से होने वाली जटिलताएं हैं. 5 साल से छोटे बच्चे और 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में जटिलताएं आम हैं.